मैं…

मैं …मैं राहगीर हूँ, तो राह भी मैं ही हूँ. मैं श्रमिक हूँ, तो श्रम भी मैं ही हूँ. मैं

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मैंने वक्त को बदलते देखा है

मैंने वक्त को बदलते देखा है, कल को आज और आज को कल में बदलते देखा है, तंग गलियों में

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