जो बुरे वक्त में काम आये वही मेरा पैगम्बर है | कविता

जितना मेरी आँखो में है बस उतना मंज़र मेरा है, मेरे लोटे में आ जाए बस उतना समंदर मेरा है।

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मैं…

मैं …मैं राहगीर हूँ, तो राह भी मैं ही हूँ. मैं श्रमिक हूँ, तो श्रम भी मैं ही हूँ. मैं

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सिर्फ इशारे क्यों दिल भी दो ना

प्रशान्त आर्यवंशी kprashant1920@gmail.com   अब गरीबों से बात कौन करता है ! वो शाह लोग हैं.. मुलाकात कौन करता है

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