क्या है नागर शैली जिसमें तैयार होगा अयोध्या का राम मंदिर
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर 5 अगस्त को भव्य श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन हो चुका है. सोमपुरा परिवार से जुड़े चंद्रकांत सोमपुरा ही मंदिर का डिजाइन तैयार करेंगे. साल 1987 में भी राम मंदिर का नक्शा वास्तुविद चंद्रकांत सोमपुरा ने ही तैयार किया था.
भारत में मूलतः दो शैलियों के मंदिर बनाए जाते हैं. एक है द्रविड़ शैली, जिसके मंदिर दक्षिण भारत में बनते हैं. दूसरी शैली को नागर शैली कहते हैं. ये शैली उत्तर भारतीय मंदिरों में दिखती है. गुजरात से ताल्लुक रखने वाला सोमपुरा परिवार इसी नागर शैली के मंदिरों की वास्तुकला का जानकार माना जाता है. ये पूरा परिवार ही नागर शैली के मंदिर बनाने में महारत रखता है. चंद्रकांत सोमपुरा के पिता प्रभाकर सोमपुरा ने ही गुजरात के ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था. उन्होंने मथुरा का मंदिर भी बनाया था.
उन्होंने ही नागर मंदिरों के निर्माण की शैलियां अपने परिवार को भी सिखाईं. यही वजह है परिवार के लगभग सारे ही सदस्य मंदिर निर्माण के काम से जुड़े हुए हैं और देश-विदेश में हिंदू मंदिरों का नक्शा बना रहे हैं.
79 साल के चंद्रकांत सोमपुरा ने नागर शैली के 131 मंदिर देश-विदेश में बनवाए हैं. इस काम में उनका पुत्र भी उनकी मदद करता है. वैसे राम मंदिर में सोमपुरा के सुझाए मॉडल में थोड़ा बदलाव किया गया है. प्रस्तावित मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा और इसमें तीन की जगह पांच शिखर होंगे. इसके अलावा राम मंदिर के नक्शे में मौलिक रुप से कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
क्या है नागर शैली की खासियत
जिस नागर शैली में ये मंदिर बनाया जा रहा है, वो पूरे उत्तर भारत के मंदिरों में दिखती है. उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की एक खास पहचान है, वो ये कि इसमें आधार से लेकर ऊपर तक ये चतुष्कोण होती है. मंदिर में गर्भगृह, उसके साथ क्रमशः अन्तराल, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप होते हैं. इन सारे हिस्सों का निर्माण एक ही अक्ष पर होता है. मंदिर का ऊपरी हिस्सा इस शैली की खासियत है, जिसे कलश कहते हैं. माना जाता है कि सबसे पहले मध्यकालीन भारत में परमार वंश के शासकों ने मंदिरों के लिए इस शैली को पसंद किया. सोमनाथ मंदिर, जनन्नाथ मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, उड़ीसा का लिंगराज मंदिर इस शैली के कुछ ख्यात मंदिर हैं. वैसे खजुराहो का शिल्प भी नागर शैली का ही है.
मिली-जुली शैली भी है चलन में
वैसे द्रविड़ और नागर शैलियों के अलावा एक और शैली भी भारत के मंदिरों में दिखती है. इसे वेसर शैली कहते हैं. ये नागर और द्रविड़ शैली का मिलाजुला रूप है. मध्य भारत, खासकर मालवा और कर्नाटक के मंदिरों में इसी शैली के मंदिर ज्यादा दिखते हैं. इसमें मंदिरों का शिखर गोलाकार या चपटा भी हो सकता है. वृंदावन का वैष्णव मंदिर इसी शैली का एक उदाहरण है.