कहीं गोबर से तो कहीं नारियल से बने इको फ्रेंडली गणपति, प्रसाद में मिल रही जैविक खाद

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खेतों में बढ़ते रासायनों के इस्तेमाल को रोकने और लोगों को जागरूक करने के लिए नर्मदापुर युवा मंडल ने 8 फीट के गोबर से बने गणेश स्थापित किए हैं. मूर्ति निर्माण 10 किलो गोबर और एक किलो नर्मदा की कांस (एक प्रकार की घास) से किया गया है. गोबर के गणेश को धान की पौध का भोग लगाया जा रहा है. इसके अलावा प्रसाद में नर्मदा से निकले कचरे से बनी जैविक खाद बांटी जा रही है. जिन्हें लोग अपने घरों के पौधों में डाल सकते हैं. यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को 100 ग्राम जैविक खाद दी जा रही है. इस मूर्ती का विसर्जन नदी में ना करके खेतों में किया जाएगा.
हाल के वर्षों में धीरे-धीरे ही सही पर अब इको-फ्रेंडली मूर्तियों का प्रचलन बढ़ गया है. ऐसी ही एक और इको-फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है. यह मूर्ति बेंगलुरु में बनाई गई है. इस 30 फीट ऊंची मूर्ति को बनाने में कुल 9000 नारियल का इस्तेमाल हुआ है. इस मूर्ति को इस साल बेंगलुरु के पुटेनगली गणेश मंदिर में स्थापित किया गया है.

बनाने में लगे 20 दिन

भगवान गणेश की इस इको-फ्रेंडली मूर्ति को बनाने में 70 भक्त जुटे थे और इन सभी के प्रयास से इसे 20 दिनों में तैयार किया गया. नारियल के अलावा 20 अलग-अलग तरह की सब्जियों का भी इस्तेमाल भी इस मंदिर को सजाने के लिए किया गया है. हर साल यहां गणेश जी की इको-फ्रेंडली मूर्ति स्थापित की जाती है. इसे बनाने में उन्ही चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो प्राकृतिक हैं और जिनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सके. पिछले साल यहां गन्ने से बनी मूर्ति स्थापित की गई थी. गणेश की मूर्ति के साथ करीब एक टन हलवा भी बनाया जाएगा. इसके लिए खास कारीगर बुलाये गये हैं. गणेश जी की यह मूर्ति 5 दिनों बाद यहां से हटाई जाएगी और सभी नारियल भक्तों में हलवे के साथ बांट दी जाएगी

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