जो बुरे वक्त में काम आये वही मेरा पैगम्बर है | कविता
जितना मेरी आँखो में है बस उतना मंज़र मेरा है,
मेरे लोटे में आ जाए बस उतना समंदर मेरा है।
कातिल वातिल मुज़रिम वुज़रिम ये बस दुनिया जाने,
मेरा जिससे कत्ल हुआ है बस वो खंज़र मेरा है।
ईश्वर-विश्वर मंदिर-वंदिर तुम सब जाते रहना,
जो बुरे वक्त में काम आ गया बस वो पैग्म्बर मेरा है।
हर बात को खुल के कहना सबके बस की बात नहीं
ये हिम्मत “उज्जैनी” की है ओर ये तेवर मेरा है।
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