जो बुरे वक्त में काम आये वही मेरा पैगम्बर है | कविता

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शैलेन्द्र “उज्जैनी” vshailendrakumar@ymail.com

जितना मेरी आँखो में है बस उतना मंज़र मेरा है,

मेरे लोटे में आ जाए बस उतना समंदर मेरा है।

कातिल वातिल मुज़रिम वुज़रिम ये बस दुनिया जाने,

मेरा जिससे कत्ल हुआ है बस वो खंज़र मेरा है।

ईश्वर-विश्वर मंदिर-वंदिर तुम सब जाते रहना,  

जो बुरे वक्त में काम आ गया बस वो पैग्म्बर मेरा है।

हर बात को खुल के कहना सबके बस की बात नहीं

ये हिम्मत “उज्जैनी” की है ओर ये तेवर मेरा है।

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