न्यू इन्वेंशन: भूकंप में घर को टूटने नहीं देगा मुड़ने वाला कंक्रीट
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से घरों को सुरक्षित रखने के लिए अब ऑस्ट्रेलिया की स्विनबर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तापीय बिजली संयंत्र की राख से मुड़ने वाला कॉन्क्रीट बनाया है. यह इकोफ्रेंडली है. यह भूकंप की स्थिति में बिल्डिंग में दरार आने की संभावना को कम करता है. जापान, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड जैसे देश जहां दुनिया भर में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं, वहां निर्माण कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा. यहां आए दिन छोटे-मोटे भूकंप से इमारतों में दरारें आती रहती हैं. यह कंक्रीट इस समस्या को खत्म करने में मददगार होगा.
Scientists create bendable concrete, 400x more bendable than concrete https://t.co/GC0yWGm1Ha pic.twitter.com/bXQKrfgVN2
— Theory of Everything (@Thehell88) March 5, 2020
रिसर्च टीम ने क्वींसलैंड स्थित ग्लेडस्टोन थर्मल पावर स्टेशन से उपलब्ध राख से तैयार कॉन्क्रीट का भारी वजन से मुड़ते हुए वीडियो जारी किया है. इसे इंजीनियर्ड जिओपॉलीमर कम्पोजिट नाम दिया गया है. रिसर्च टीम का दावा है कि लैब में तैयार यह कॉन्क्रीट सामान्य के मुकाबले 400 गुना तक मुड़ सकता है. इससे तैयार बिल्डिंग, ब्रिज और सुरंगें अधिक सुरक्षित और टिकाऊ बनेंगी.
इको फ्रेंडली भी, सुरक्षित भी
सामान्य कॉन्क्रीट इसलिए टूट जाता है क्योंकि इसमें अत्याधिक ताप पर गर्मकर चूना पत्थर मिलाया जाता है. यह बनते समय भी कॉर्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है. थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले के साथ यह प्रक्रिया पहले ही हो जाती है. इसलिए कोयले की राख से बना कॉन्क्रीट अधिक टिकाऊ होता है. इसे बनाने में 36% कम ऊर्जा खपत और 76% कम कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जित होती है. राख में शॉर्ट पॉलिमेरिक फाइब्रेस के साथ मानव निर्मित फाइब्रे और सिंथेटिक केमिकल मिलाए गए. इससे कॉन्क्रीट में इंसानी बालों जितनी पतली दरारें बनाईं गई. ये दरारें कॉन्क्रीट के खिंचाव को सहन कर इसे टूटने से बचाती हैं.