अब नहीं डूबेगी दुनिया, लेकिन भयानक तूफानों और बाढ़ के लिए रहें तैयार
जलवायु परिवर्तन की वजह से अंटार्कटिका की बर्फ बड़ी तेजी से पिघल रही है। कई शोधकर्ता यह चेतावनी दे चुके हैं कि इस सदी के अंत तक समुद्र का जलस्तर चार मीटर से भी ज्यादा बढ़ जाएगा और उसमें दुनिया के कई शहर डूब जाएंगे। लेकिन, नेचर नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने की रफ्तार काफी तेज जरूर है। लेकिन, इसके बावजूद इस सदी के अंत तक इससे छह से सात इंच जल स्तर बढ़ेगा जो पहले के अनुमान से करीब सात गुना कम है। पहले के शोधकर्ताओं ने इसके 44 इंच बढ़ने की आशंका जाहिर की थी।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
शोधकर्ताओं का कहना है कि अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनियाभर में समुद्र के जलस्तर में कुल 120 सेंटीमीटर या करीब चार मीटर का इजाफा होने का दावा किया गया और उससे पहले के शोध में इसके 6.5 मीटर बढ़ने की आशंका जाहिर की गई थी। एडवर्ड का कहना है कि इसके बावजूद हमें जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए वरना इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
30 लाख वर्ष पुराना आंकड़ा खंगाला
वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने और समुद्र के जलस्तर में हुए परिवर्तन को समझने के लिए काफी पड़ताल की है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 30 लाख वर्ष पहले के आंकड़े, 1.25 लाख वर्ष पहले के आंकड़े और 25 वर्ष पहले के आंकड़ों की पड़ताल की। इसमें यह बात सामने आई कि अंटार्कटिका की बर्फ पहले से पिघलते रही है और इन वर्षों के दौरान समुद्र के जलस्तर में इतना बड़ा परिवर्तन नहीं आया जैसा कि पहले के कई शोध में दावा किया गया था।
बाढ़ और तूफान के लिए तैयार रहें
इससे जुड़े अन्य लेख में कहा गया है कि जलस्तर बढ़ने से बाढ़ और तूफान का खतरा लगातार बढ़ेगा। अंटार्कटिका को ज्यादा महत्व देकर ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने की रफ्तार को नजरअंदाज कर दिया गया है। लेकिन अगर संयुक्त रूप से देखें तो इनसे बाढ़, तूफान और बर्फीली आंधी जैसी समस्याओं का खतरनाक रूप देखने को मिल सकता है जो समुद्र का जल स्तर से बढ़ने से ज्यादा भयावह हो सकता है।