चिड़ियों को घर बनाने से रोकने के लिए पेड़ को ही ढँक रहा है इंग्लैण्ड

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इंग्लैंड में कई जगहों पर पेड़ों और झाड़ियों को जाली से ढका जा रहा है ताकि चिड़िया उन पर घोंसला न बना सकें. लोगों का कहना है कि समय आने पर घास पत्ते साफ़ करने में आसानी हो इस कारण पेड़ों और झाड़ियों को ढका गया है. ऐसा करने के दौरान वो चिड़ियों के घोंसले को तोड़ते हैं और उन्हें फिर से घोंसला बनाने से भी रोकते हैं. इंग्लैण्ड में पेड़ों पर जाल लगाने को लेकर क़ानून में कोई प्रावधान नहीं हैं.

इंग्लैड की गिल्फोर्ड वालविकशायर , ग्लोचेस्टर और डार्लिंगटन समेत कई जगहों से पेड़ों पर जालियां लगाने की ख़बरें मिली हैं. इनमें से अधिकतर वो जगहें हैं जहां इमारतें बनाने का काम चल रहा है.

लोग कर रहे हैं विरोध

कई लोगों से इसकी निंदा की है. उन्होंने इसे “भयावह” और “संरक्षण के ख़िलाफ़” कहा है. स्थानीय लोग इसके विरोध में आगे आते दिख रहे हैं. डार्लिंगटन में लोगों ने सड़क किनारे की झाड़ियों और पेड़ों को हरे रिबन बांध कर विरोध जताया जिसके बाद टेस्को नाम की एक कंपनी ने नॉर्विच में एक दुकान के पास लगाई जालियां निकाल दीं. इन्ही सब कारणों से बीते 50 सालों में ब्रिटेन में 4 करोड़ पक्षी कम हुए हैं. जैसे-जैसे अधिक घर बन रहे हैं ये तरीक़ा और भी प्रचलन में आ रहा है. यहाँ ऐसा करना कोई नई बात नहीं है लेकिन इस पर नज़र रखने के लिए ना तो कोई कानूनी प्रक्रिया है ना ही कोई संस्था है.

पेड़ों पर चिड़िया घोंसला न बना सकें इसके लिए उन्हें जाली से ढकने के विरोध में कानून बनाने के लिए एक याचिका भी ब्रितानी संसद की वेबसाइट पर है. इस पर अब तक 48,000 लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं. आम तौर पर 10,000 हस्ताक्षर हो जाने पर सरकार याचिका पर गौर करती है.

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इसके विरोध में लोगों ने ट्विटर पर #NestingNotNets हैशटैग के साथ एक अभियान भी शुरु किया है जिसमें जाली लगे पेड़ों की तस्वीरें साझा करने की अपील की गई है. लोगों की नाराज़गी बताती है कि वो प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं. बिल्डरों पर काम करने का दबाव होता है लेकिन प्रकृति को आगे रख कर इसका हल खोजना जरूरी है.

इंग्लैण्ड में पूरे देश में करीब ढाई करोड़ लोग अपने बागीचों में चिड़ियों के लिए खाना डालते हैं और उनके लिए पेड़ों को ढका जाना बुरा कदम है. हालांकि ये ग़ैरकानूनी नहीं है लेकिन साल के इस वक्त में ऐसा करने से पक्षियों के आराम में खलल पड़ता है साथ ही प्रजनन भी प्रभावित होता है.

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