मैंने वक्त को बदलते देखा है

मैंने वक्त को बदलते देखा है,
कल को आज और आज को कल में बदलते देखा है,
तंग गलियों में बच्चों को कपडे दिलाते देखा है,
कहीं पैसों के लिए टोकरी वाले से लोगों को लड़ते देखा है,
चाट के ठेले पर गोलगप्पे खाते परिवारों को देखा है,
अपने बचपन को पापा की बाइक की टंकी पर बैठे बच्चे में देखा है,
स्कूल कॉलेज जाते हुए लड़कों में अपने दोस्तों को देखा है,
मैंने भागम भाग वाली जिन्दगी में खुद के सुकून को पिघलते देखा है,
क्या रात क्या दिन अपने क़दमों को एक चारदीवारी में दौड़ते हुए देखा है,
कहा था ना…मैंने वक्त को बदलते देखा है.
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