सालों सँभलना है एक पल में बहक जाना है

Spread the love

शैलेन्द्र “उज्जैनी” vshailendrakumar@ymail.com

सालों सँभलना है एक पल में बहक जाना है,
दिल क्या हाथों से रेत सर-सर सरक जाना है।

*********

नाज़ करता है शजर *जिस समर *पे इतना यारों,
पकने तक रिश्ता फिर डाल से छिटक जाना है।

*********

नज़रें झुका के चलना नज़रें बचा के चलना कुछ कर,
जिस दिन मिलेगा वो उस दिन नज़र को नज़र से अटक जाना है।

*********

ना हिन्दु, ना मुस्लिम ना बच्चे पैदा होते मजहब साथ लेकर,
चार कदम चलकर मजहब की गलियों में भटक जाना है।

*********

जब तक दिमाग चलता है काम अच्छे ही करना भाई,
साठ बरस के ऊपर हम सब का ही सटक जाना है।

*********

ये माना ज़ालिम कि हिरणी सी चाल है तुम्हारी,
इतनी भी ना यूं लचको कि हर दिल को मचल जाना है।

*********
तेरे समझाने से “उज्जैनी” यूँ भी कौन समझता है,
ये छठी के बिगड़े हैं इनको तो फिर से बहक जाना है।

*पेड़
^फल      
                                   ******

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
READ  केरल में निपा वायरस का आतंक
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange