क्यों बनाया गया कलकत्ता की बजाय दिल्ली को भारत की राजधानी

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12 दिसंबर 1911 को ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने कलकत्ता के बजाय दिल्ली को देश की राजधानी बनाने का ऐलान किया था. इसकी वजह यह थी कि दिल्ली काफी पहले से ही अनेक साम्राज्यों की राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों की केन्द्र थी. उसकी भौगोलिक स्थिति भी ऐसी थी कि केन्द्रीय शासन के लिए यह एक आदर्श जगह साबित होती थी. इसके अलावा कलकत्ता में लगातार राष्ट्रवादी आंदोलन सिर उठा रहे थे जिसने ब्रिटिश सत्ता की नाक में दम कर रखा था. इन सभी वजहों से दिल्ली को देश की राजधानी बनाने की घोषणा की गयी. उस समय राजधानी के कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने में लगभग 40 लाख पाउंड खर्च हुए थे. 1927 में दिल्ली का नाम बदलकर नई दिल्ली कर दिया गया. आधिकारिक रूप से नई दिल्ली को देश की राजधानी का दर्जा 1931 में मिला था.

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