तेजी से बढ़ रही है फैटी लिवर डिजीज, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

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फैटी लिवर डिजीज एक ऐसी समस्या है जो भारत में डायबिटीज की ही तरह से तेजी से बढ़ रही है. आज के समय में लोगों को व्यस्त जीवनशैली और खानपान से जुड़ी गलत आदतों की वजह से लिवर से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. आमतौर पर लिवर से जुड़ी समस्याओं के लिए अल्कोहल को जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन सिर्फ अल्कोहल ही नहीं खानपान की सभी गलत आदतें लिवर से जुड़ी गंभीर समस्याओं का कारण बनती हैं.

बढ़ रही है फैटी लिवर की समस्या

फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर की कोशिकाओं में गैरजरूरी फैट की मात्रा बढ़ जाती है. इसकी वजह से लिवर को गंभीर नुकसान होता है और यह स्थिति लिवर फेलियर की समस्या का कारण भी बन सकती है. यह समस्या शराब का सेवन न करने वाले लोगों में तेजी से बढ़ रही है. नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज उन लोगों में ज्यादा होती है जो बिलकुल भी शराब का सेवन नहीं करते हैं. इस समस्या में मरीज के खानपान की वजह से उसके लीवर में अतिरिक्त चर्बी या फैट जमा हो जाता है और इसकी वजह से लिवर खराब हो जाता है. सही समय पर इलाज से इसे कंट्रोल कर इससे छुटकारा पाया जा सकता है. लेकिन इस समस्या में लापरवाही बरतने पर मरीज को लिवर फेलियर की समस्या भी हो सकती है.

तीन तरह के होते हैं फैटी लीवर

फैटी लिवर की समस्या मुख्य रूप से तीन तरह की होती है – स्टीटोसिस, (जिसमें सूजन के बिना फैटी लीवर होता है), स्टीटोहैपेटाइटिस (जख्म और सूजन वाला लिवर, जोकि शराब के सेवन से होता है) और तीसरा नॉन-एलकोहॉलिक स्टीटोहैपेटाइटिस या नैश. इनमें से नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज बहुत गंभीर मानी जाती है.

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नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के कारण (Non Alcoholic Fatty Liver Disease Causes)

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का अब तक कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चल सका है. लेकिन डॉक्टर्स का मानना है कि यह समस्या भी खानपान की गलत आदतों और खराब जीवनशैली की वजह से होती है. पहले इस समस्या में लिवर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाने से सूजन होने लगती है और फिर यह लिवर सिरोसिस का रूप धारण कर सकता है. इस के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं-

अधिक वजन या मोटापा

हाई ब्लड शुगर,  प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज

ट्राइग्लिसराइड्स

एक्सरसाइज की कमी

खानपान से जुड़ी गलत आदतें

हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

अंडरएक्टिव थायराइड (हाइपोथायरायडिज्म)

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के लक्षण (Non Alcoholic Fatty Liver Disease Symptoms)

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज में लिवर में सूजन और दर्द के साथ पाचन से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. इससे पेट में सूजन और स्किन पर भी कई समस्याएं होने लगती हैं. साथ ही अत्यधिक थकान, स्किन और आंखों पर नीलापन, स्पाइडर वेन्स, आंखों का पीलापन, स्किन पर खुजली और रैशेज जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं.

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का इलाज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease Treatment)

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज में इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है. शुरूआती लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना फायदेमंद माना जाता है. एक बार अगर ये समस्या बढ़ जाए तो इसकी वजह से मरीज में अन्य गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं. कई बार डॉक्टर नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज की समस्या से बचाव के लिए हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी के टीके लगवाने की सलाह भी देते हैं.

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क्या है बचाव (Non Alcoholic Fatty Liver Disease Prevention Tips)

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज से बचाव के लिए आपको स्वास्थ्य जीवनशैली और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए. प्रोसेस्ड और फास्ट फूड के सेवन से बचें. प्लांट बेस्ड फूड्स, फल व सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें. हेल्दी फैट को अपनाएं.
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का एक बड़ा कारण बढ़ा हुआ वजन भी है. इसलिए इससे बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज और योगाभ्यास जरूर करें.

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