बदलते मौसम में ये उपाय अपना कर रह सकते हैं स्वस्थ
हर ऋतु शरीर में कुछ दोषों को दूर करने और जीवन में कुछ नवीनता लाने के लिए आती है। इस मौसम में किन-किन बातों का रखें ध्यान, जाने यहाँ-
अब गर्मी आने वाली है। शरद ऋतु में जो विजातीय द्रव्य शरीर के अन्दर रह जाते हैं, वे इस ऋतु में पसीने के साथ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मौसम बदलने से शरीर में कोई रोग उत्पन्न नहीं होता, अपितु मौसम के अनुकूल हमारा आहार-विहार, दिनचर्या आदि न होने के कारण हमारे शरीर में विकार उत्पन्न हो जाते हैं, जो रोग का कारण बनते हैं। जाने वाला मौसम शरीर, मन-बुद्धि के साथ-साथ हार्मोन ग्रन्थियों व आंतरिक अंगों पर अपना प्रभाव छोड़कर जाता है। ऐसे में शारीरिक शुद्धि जरूरी हो जाती है।
क्या करें शारीरिक शुद्धि के लिए
शारीरिक शुद्धि करने के लिए अभ्यंग मसाज, मिट्टी लेप या स्नान, एनीमा, भाप स्नान, जलनेति, कुंजल क्रिया आदि विशेष लाभकारी हैं, जिनका लाभ प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में ले सकते हैं।
करें शरीर को डिटॉक्स
शरीर में जमा संचित, दूषित व कुपित मल ही रोगकारक होते हैं। इन्हें शरीर से बाहर करने के लिए सब्जियों के रस का सेवन करें। मौसम के ताजे फलों को भोजन में शामिल करें। मूंग-चना-मोठ व कच्ची मूंगफली को अंकुरित करके लें या भीगे कच्चे मेवे (बादाम, किशमिश, अंजीर आदि) सुबह में खाएं।
योग को बनाएं दिनचर्या का अंग
नियमित योगाभ्यास से न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि शरीर और मन भी स्वस्थ रहता है। इस लिए रोजाना प्रात: एक घंटा नियमित योग व ओउम् का ध्यान करें। सुबह जल्दी उठें और रात को जल्दी सोएं। प्रात:काल में सैर करें। दिनचर्या ठीक रखें। रात का खाना हल्का रखें। तनाव से बचें और हर परिस्थिति में आनन्दित रहें।
क्या करें
मौसम के अनुकूल कपडे़ पहनें।
बारिश हो, तो भीगने से बचें।
चाय-कॉफी की बजाय ग्रीन टी का सेवन करें।
कार्य और विश्राम में संतुलन बनाएं।
क्या ना करें
अप्राकृतिक आहार, नशीले पदार्थ, मांसाहार व गरिष्ठ भोजन ना लें।
ओवर ईटिंग ना करें। 4-5 घंटे से ज्यादा खाली पेट भी ना रहें।
कोल्ड ड्रिंक्स, बेमेल आहार व अनावश्यक दवाओं के सेवन से बचें।
अत्यधिक मोबाइल, टीवी आदि से बचें, क्योंकि इनसे हमारी प्राण ऊर्जा का क्षय होता है।