होली कविता : इस होली कहीं रंग न कम पड़ जाए | आपकी कलम से | Rahul Gaurav

है ना होली आज
मना रहे हो न,
कौन कितना खास है
जता रहे हो न,
अच्छे से जताना
कही रंग न कम पड़ जाए
चेहरे को छुपाने में
हजारो मिठाई सजी है आज
सड़क की दुकानों में,
जाओ करो खरीदारी अपने ईमान की
पायो में भी मरम्मत कर लो अपने टूटे दीवान की,
कही पानी न खौलता बह जाए आंखों से
रंगों सजी गाल को छुपा लेना जज्बातो से,
क्योंकि एक दिन ही न खेल पाओगे
दूसरे दिन किस खेल में तमाशा दिखाओगे,
अंदाजा लगाना मुश्किल अब नही होगा
इस होली में सब कुछ होगा पर अब दिल नही होगा।।
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