रूस ने जारी किया परमाणु बम परीक्षण का वीडियो, 60 साल तक रखा इसे सीक्रेट

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क्या आप जानते हैं कि रूस ने भी ऐसा एक परमाणु बम बना लिया था. जो पूरी दुनिया का खात्मा कर सकता था. करीब 60 साल तक सीक्रेट रखने के बाद रूस ने इस परमाणु बम परीक्षण का वीडियो जारी कर दिया है. यह परमाणु बम यदि अपनी पूरी क्षमता से फटता तो दुनिया में मानवता का ख़ात्मा हो जाता.

दुनिया का सबसे बड़ा बम
वर्ष 1961 में आज के रूस और तत्कालीन सोवियत संघ ने दुनिया के सबसे बड़े, शक्तिशाली और ख़तरनाक हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था. उस वक़्त ये धमाका दुनिया के लिए टॉप सीक्रेट था.जिसके बारे में धमाका करने वाले रूस के अलावा किसी भी देश को कानों कान तक ख़बर नहीं हुई थी. रूस ने 60 साल बाद अपने सबसे बड़े परमाणु बम विस्फोट का वीडियो दुनिया के सामने जारी किया है.

‘इवान’ नामक इस परमाणु बम की ताक़त का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जापान के हिरोशिमा में गिराए गए अमेरिका के परमाणु बम ‘लिटिल ब्वॉय’ से यह 3333 गुना ज़्यादा शक्तिशाली था. यानि कि इससे होने वाली तबाही भी हिरोशिमा में हुई तबाही से 3333 गुना ज़्यादा होती.

अमेरिका के साथ चल रहे कोल्ड वॉर के दौरान अपनी ताक़त दिखाने के लिए रूस ने 30 अक्टूबर 1961 को बैरंट सागर में ये परीक्षण किया था. इस परमाणु बम की विनाशक क्षमता को देखते हुए इसे धरती के ख़ात्मे का हथियार कहा जाता है.  रूस का यह ‘इवान’ परमाणु बम विस्फोट दुनिया में अब तक हुए परमाणु विस्फोटों में सबसे शक्तिशाली था. यह क़रीब 50 मेगाटन का था और  5 करोड़ टन परंपरागत विस्फोटकों के बराबर ताक़त से फटा था.

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यही वजह है इस परमाणु बम को रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्या के ऊपर बर्फ़ में गिराया था. ताकि किसी भी तरह की आबादी से धमाके वाली जगह सैंकड़ों हज़ारों मील दूर हो.

एटम बम और हाइड्रोजन बम की तकनीक मिलाकर तैयार हुआ था बम

एटम बम और हाइड्रोजन बम की तकनीक मिलाकर तैयार किया गया ज़ार बम. ज़ार बम अगर पूरी ताक़त से फटता तो कुछ भी नहीं बचता. यही वजह है बम तैयार होने के बाद वैज्ञानिकों को ये डर लगा कि कहीं एटमी टेस्ट इतना भयानक न हो कि उससे सोवियत संघ को ही नुक़सान पहुंचे. इसीलिए इसमें विस्फोटक कम कर दिए गए थे.

ये इतना विशाल एटम बम था कि इसके लिए ख़ास लड़ाकू जहाज़ बनाया गया. आम तौर पर हथियार और मिसाइलें लड़ाकू जहाज़ों के भीतर रखी जाती हैं. लेकिन जिस ज़ार बम यानी सबसे बड़े एटम बम को सोवियत वैज्ञानिकों ने बनाया था. वो इतना बड़ा था कि उसे विमान से पैराशूट के ज़रिए लटका कर रखा गया था. इसके लिए सोवियत लड़ाकू विमान तुपोलोव-95 के डिज़ाइन में बदलाव किए गए थे.

सोवियत लड़ाकू जहाज़ टुपोलोव-95 इसे लेकर रूस के पूर्वी इलाक़े में स्थित द्वीप नोवाया ज़ेमलिया पर पहुंचा. इसके साथ ही एक और विमान उड़ रहा था, जिसको कैमरे के ज़रिए बम के विस्फोट की तस्वीरें उतारनी थीं.इन विमानों पर ख़ास तरह का पेंट भी किया गया था जिसका मकसद विमानों को परमाणु बम के विकिरण से बचाना था.

10 किमी ऊंचाई से गिराया गया बम
ज़ार बम को टुपोलोव विमान ने क़रीब दस किलोमीटर की ऊंचाई से पैराशूट के ज़रिए गिराया … इसकी वजह ये थी कि जब तक विस्फोट हो, तब तक गिराने वाला लड़ाकू जहाज़ और तस्वीरें उतारने के लिए गया विमान, दोनों सुरक्षित दूरी तक पहुंच जाएं.

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बम गिराते ही तुरंत दूर भागे दोनों विमान
बम गिराकर दोनों विमान क़रीब पचास किलोमीटर दूर पहुंचे तब एक भयंकर विस्फोट हुआ…. आग का विशालकाय गोला धरती से उठकर आसमान पर छा गया. विस्फोट से क़रीब पांच मील चौड़ा आग का गोला उठा था. इसके शोले इतने भयंकर थे कि इसे एक हज़ार किलोमीटर दूर से देखा जा सकता था.  दुनिया के सबसे ताक़तवर एटम बम के इस धमाके से पूरा नोवाया ज़ेमलिया द्वीप तबाह हो गया. सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित घरों को भी विस्फोट की वजह से काफ़ी नुक़सान पहुंचा था.

सोवियत संघ के वैज्ञानिक आंद्रेई सखारोव थे ‘इवान’ के जनक
सोवियत संघ के एटमी वैज्ञानिक आंद्रेई सखारोव ने आख़िरकार साठ का दशक आते-आते सोवियत संघ ने अपने सपनों वाला बम बना लिया. इसे नाम दिया गया ज़ार का बम. ज़ार रूस के राजाओं की उपाधि थी. उन्हीं के नाम पर कम्युनिस्ट सरकार ने इसे ज़ार का बम नाम दिया.
इस एटम बम के परीक्षण से इतनी एनर्जी निकली थी जितनी पूरे दूसरे विश्व युद्ध मे इस्तेमाल हुए गोले-बारूद से निकली थी. इससे निकली तरंगों ने तीन बार पूरी धरती का चक्कर लगा डाला था.

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