आसान तरीके से समझिए क्या है नई शिक्षा नीति 2020
केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है. पिछले 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पढ़ें, इसकी 10 बड़ी बातें:
1- नई शिक्षा नीति में लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर यानी एकल नियामक रहेगा. इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है.
2- नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट व्यवस्था लागू किया गया है. आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है.
3- जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. नई व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एफफिल करने से छूट की भी एक व्यवस्था की गई है.
4- शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करीब 4.43 फीसदी खर्च हो रहा है, लेकिन उसे 6 फीसदी करने का लक्ष्य है और केंद्र एवं राज्य मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करेंगे.
5- हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा. वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जायेगा. इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाया जा रहा है.
6- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा. तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा.
7- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं और अब नया पाठ्यचर्या आयेगा. इसी प्रकार से शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के भी 11 साल हो गए हैं, इसमें भी सुधार होगा.
8- बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल की गई है. बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित हो सकता है. उन्होंने बताया कि शिक्षा का माध्यम पांचवी कक्षा तक मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा या घर की भाषा में हो. बालिकाओं के लिए लैंगिक शिक्षा कोष की बात कही गई है.
9- बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप मे बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गई है. हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा. इसके अलावा पारदर्शी एवं आनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
10- नई शिक्षा नीति को लेकर समाज के सभी वर्गो के 2.25 लाख सुझाव आए. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था जब निशंक ने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था.
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