कारगिल युद्ध का बहादुर मिग-27 हुआ रिटायर

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तीन दशक से अधिक समय तक भारतीय वायुसेना की सेवा करने के बाद, मिग-27 के बेड़े ने शुक्रवार को अपनी अंतिम उड़ान भरी. भारत में ‘बहादुर’ नाम से प्रसिद्ध मिग-27 का राष्ट्र के लिए सेवा का तीन दशकों से लंबे समय का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड रहा है. इन विमानों ने शांति और युद्ध दोनों के दौरान देश के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है.

जोधपुर एयर बेस में सात मिग-27 के स्क्वाड्रन थे. यह विमान हमेशा फ्रंटलाइन पर रहा और 1999 के कारगिल युद्ध में इसने अहम भूमिका निभाई थी. इन लड़ाकू विमानों ने जोधपुर एयरबेस पर आखिरी बार आसमान में उड़ान भरी, जहां मिग 27 को संचालित करने वाला एकमात्र स्क्वाड्रन आधारित है. उसे जोधपुर के एयरफोर्स स्टेशन में Water Salute मिला.

भारतीय वायुसेना की 29वीं स्क्वॉड्रन इकलौती यूनिट है, जो मिग-27 विमानों के अपग्रेडेड वैरियंट का इस्तेमाल कर रही थी. अन्य सभी प्रकार, जैसे कि मिग-23 बीएन एंड मिग 23 एमएफ और शुद्ध मिग 27 पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं.

कब हुई स्थापना ?

वर्तमान में, IAF 29 स्क्वाड्रन एकमात्र इकाई है जो मिग 27 अपग्रेड का संचालन करती है. यह स्क्वाड्रन 10 मार्च 1958 को एयरगन स्टेशन हलवारा में हमारागन (टोफानी) विमान से उठाया गया था. इन वर्षों में, स्क्वाड्रन को मिग 21 प्रकार 77, मिग 21 प्रकार 96, मिग 27 एमएल और मिग 27 अपग्रेड सहित कई प्रकार के लड़ाकू विमानों से सुसज्जित किया गया है.

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