कैसे बनते हैं कोरोना हॉटस्पॉट, और कब इन्हें कोरोना मुक्त घोषित किया जाता है
देश भर में कई इलाकों को कोरोना हॉटस्पॉट घोषित किया गया है. इनमें वह इलाके भी शामिल हैं, जहां पॉजिटिव मरीजों के मिलने के बाद संक्रमण की आशंका ज्यादा है. कोरोना हॉटस्पॉट के रूप में कुछ घरों से लेकर, रिहाइशी सोसाइटी, कॉलोनी या एक पूरे सेक्टर तक के इलाके चिन्हित किए जा सकते हैं.
क्या हैं कोरोना हॉटस्पॉट
कोरोना हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित इलाकों को लॉकडाउन का 100 फीसदी पालन कराने का आदेश दिया जाता है. इन इलाकों में किसी भी तरह की दुकान को खुलने की इजाजत नहीं होती है. इसके अलावा इलाके में घुसने और निकलने के रास्तों पर पुलिस का सख्त पहरा होता है. ऐसे इलाकों में किसी भी शख्स के आने या इनसे बाहर जाने पर पाबंदी होती है. साथ ही ऐम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को भी अनुमति के बाद आने की इजाजत दी जाती है. इन हिस्सों में लोगों को जरूरत के सामानों जैसे-दवा और राशन के लिए भी घरों से निकलने की इजाजत नहीं दी जाती है.
कोरोना हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित इलाकों में सरकार घर-घर जाकर इसकी जांच करती है कि किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण के लक्षण तो नहीं हैं. इसके अलावा लोगों से यह भी पूछा जाता है कि क्या वह किसी पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए हैं या नहीं. इन इलाकों का पूरी तरह से सैनिटाइजेशन किया जाता है और हर घर में मौजूद लोगों की सेहत पर सख्त निगरानी रखी जाती है. कोरोना हॉटस्पॉट में ऐम्बुलेंस और स्वास्थ्य कर्मियों को हर वक्त तैयार रखा जाता है जिससे कि मेडिकल इमर्जेंसी के केस में लोगों को तुरंत अस्पताल ले जाया जा सके. साथ ही आम लोगों की जरूरत के सामानों को भी सरकार उनके घरों तक डिलिवर करने का इंतजाम करती है.
किसी भी कोरोना हॉटस्पॉट रहे एरिया में आखिरी कोरोना मरीज मिलने के बाद अगर 28 दिनों तक कोई भी कोरोना का मरीज नहीं मिलता तो उसे कोरोना मुक्त घोषित कर दिया जाता है.