एक छोटी सी मुलाकात
By Puja Kumari
हमेशा गणित के सवालों में उलझे रहने वाले एक लड़के को इतिहास एकदम नापसन्द था.
सो चलती ट्रेन में वो अपने दोस्तों से लगातार इतिहास की बुराई कर रहा था.
लेकिन लड़के को ये नहीं पता था कि सामने वाले बर्थ पर बैठी जो लड़की लगातार उसे ताड़ रही है उसके शोध का विषय इतिहास ही है…
उसे तो केवल ये पता था कि लड़की का उसे इस तरह से देखना उसके दिल को बहुत अच्छा लग रहा था…
और लड़की को उसकी बातें भा रही थी…भले ही वह इतनी देर से उसके पसंदीदा विषय की फजीहत कर रहा था.
कुछ देर का सफर था और केवल कुछ देर का साथ भी. सो उस लड़के को समझ ही नहीं आ रहा था कि लड़की की ओर दोस्ती का हाथ कैसे बढ़ाएं.
और उसका सफ़र भी तो बस 2 घण्टे का रह गया था. एक एक पल में ऐसा लग रहा था मानो उसकी जिंदगी हाथ से निकली जा रही हो.
इस ऊहापोह में समय बीत गया और लड़के का स्टेशन आ गया. अब लड़के से रहा नहीं गया. उसने लड़की से पूछा क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगी?
लड़की जरा मुस्कुराई और बोली लेकिन मेरा तो पसंदीदा विषय ही इतिहास है, और आपको तो इतिहास बिल्कुल भी पसंद नहीं. हमारे विचार एक दूसरे से बिल्कुल नहीं मिलेंगे.
लड़के को यह सुन जरा झटका लगा, लेकिन फिर झट से खुद को संभालते हुए बोल पड़ा-
लेकिन मैडम, मैं तो बचपन से ही पृथ्वीराज चौहान का बहुत बड़ा फैन हूँ.
इतना सुनना था कि लड़की की हंसी फूट पड़ी. लड़के के दिल को भी थोड़ी तसल्ली मिली. चलो बात बिगड़ते बिगड़ते वापस बन गयी.
उसने लड़की से कहा – मैं आपको एक किताब देता हूं, जरूर देखिएगा.
इस किताब का नाम था ‘मैजिकल बुक ऑन क्विकर मैथ्स.’ रख लीजिए सबके काम आती है…
ट्रेन चलने के लिए सिटी दे रही थी
तभी उसने सबसे पिछले पन्ने को थोड़ा फाड़ा और लड़की से कहा आप अपना नंबर लिख दीजिए…
ह्म्म्म…लिख दिया
ट्रेन खुल गयी थी. लड़का बाहर निकल आया. ज़रा अपना हाथ बाहर करिये. उसने लड़की से हाथ मिलाया… ठीक उसी वक़्त उनकी हथेलियों में उन दोनो के भविष्य की रेखा उभर रही थी….
स्टेशन पर ही रह गये, हम लहराते रहे हाथ !
कोई ख़ुद को छोड़कर,हमें ले गया अपने साथ !!