क्यों सऊदी अरब ने छेड़ा है प्राइस वार जिससे घट रही है तेल की कीमत
रूस की ओर से ओपेक देशों के साथ तेल उत्पादन में कटौती पर सहमति नहीं बनने के बाद सऊदी अरब ने प्राइस वॉर छेड़ दिया है. सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में भारी कटौती की घोषणा कर दी है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 30 फीसदी तक गिर गई हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 1991 के बाद इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. 17 जून 1991 को पहला खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में यह सबसे बड़ी गिरावट है.
2 से 3 रुपए घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
जिस गति से कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं, उससे घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक सप्ताह में 2 से 3 रुपए तक की कटौती हो सकती है. ओपेक देशों और रूस के बीच उत्पादन में कटौती पर असहमति होने का असर कच्चे तेल की कीमतों पर करीब दो सप्ताह तक बना रहेगा. कोरोना वायरस और अन्य कारणों से मांग में कमी के कारण कच्चे तेल की कीमतें 28 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने का अनुमान है.
कीमत घटाकर रूस को सजा देना चाहता है सऊदी अरब
कोरोनावायरस के कारण कच्चे तेल की कीमतों में हो रही लगातार गिरावट को थामने के लिए ओपेक और सहयोगी देश तेल उत्पादन में रोजाना 1.5 मिलियन बैरल कटौती की योजना बना रहे थे, लेकिन रूस ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी. इसके बाद विश्व के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब ने रविवार को कच्चे तेल की कीमतों में कटौती की घोषणा कर दी. जानकारों का कहना है कि कीमतों में कमी करके सऊदी अरब रूस को तेल उत्पादन कटौती पर सहमत नहीं होने की सजा देना चाहता है. ओपेक और रूस के बीच तेल सप्लाई को लेकर समझौता अप्रैल में खत्म हो रहा है. इस समझौते के खत्म होने के बाद सऊदी अरब अपने क्रूड उत्पादन में 10 मिलियन बैरल रोजाना की बढ़ोतरी करने की योजना बना रहा है.