एलिफेंट बॉन्ड लाने से कैसे वापस आ सकता है 500 बिलियन डॉलर काला धन
केंद्र सरकार के उच्च स्तरीय सलाहकार समूह (HLAG) ने मोदी सरकार को विदेशों में छिपाए गए 500 बिलियन डॉलर को वापस लाने के लिए एलिफैंट बांड लाने की सलाह दी है. अगर सरकार एलिफैंट बांड को अपनाती है तो इससे व्यापार बढ़ोतरी और अधूरे पड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद मिलेगी.
एलिफैंट बांड के जरिए वे लोग जिन्होंने विदेशी बैंकों में अपने काले धन को छिपाकर रखा हुआ और जिसकी जानकारी सरकार को भी नहीं है उसे वापस लाने में मदद मिलेगी. एलिफैंट बांड के तहत अगर कोई भी व्यक्ति अपने कालेधन के बारे में सरकार को बताएगा तो उसके काले धन को सफेद में तब्दील कर दिया जाएगा. लेकिन उसको अमाउंट का कुछ हिस्सा दिया जाएगा जबकि बाकी हिस्सा सरकार के पास रहेगा.
अनुमान है कि भारत को एलिफैंट बांड से लगभग 500 बिलियन डॉलर हासिल हो सकते हैं जो कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को गति प्रदान कर सकते हैं.
अगर हमें 300 बिलियन डॉलर भी हासिल होते हैं तो इससे इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस प्रॉब्लम और इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स के बीच में जो खाई बढ़ी है उसे दूर करने में मदद मिलगी. यह वास्तविक ब्याज दर में भारी कमी लाएगा. इससे रुपए को मजबूत करने में भी मदद मिलगी.
इसकी एक प्रमुख विशेषता यह है कि अपने काले धन का खुलासा करने वालों को ‘विदेशी मुद्रा, काले धन कानूनों और कराधान कानूनों सहित सभी कानूनों से छूट प्राप्त होगी.
कई देशों ने ब्लैक मनी को वापस लाने के लिए इस तरह के उपायों को अपनाया है. इनमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया अर्जेंटीना और फिलीपींस जैसे देश शामिल हैं. इंडोनेशिया ने 2016 में इसे लागू किया था. इंडोनेशिया को एमनेस्टी अवधि के दौरान इसमें लगभग 970,000 आवेदकों ने हिस्सा लिया. इससे सरकार को 367.9 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए.
विदेशों में भारी मात्रा में ब्लैकमनी जमा है और इसका पता लगाना काफी मुश्लिक है कि ब्लैकमनी किन-किन लोगों के पास है.