नोबेल प्राइज़ विनर अभिजीत बनर्जी को क्यों जाना पड़ा था जेल, जानिए यहां
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. काम लोगों को ही पता होगा कि बनर्जी जेएनयू यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते वक्त तिहाड़ भी जा चुके हैं. दरअसल, उस वक्त जेएनयू के प्रेसिडेंट एनआर मोहंती को कैंपस से निष्कासित कर दिया गया था, जिसका नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई स्टूडेंट्स ने पुरजोर विरोध किया था.
पहली बार हारा था लेफ्ट
जेएनयू को खांटी वामपंथियों का गढ़ माना जाता है, लेकिन 1982-83 के छात्र संघ चुनाव में यहां बड़ा फेरबदल हुआ था क्योंकि यहां जम चुके लेफ्ट (AISA) को हार का सामना करना पड़ा था. इससे जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन भी खुश नहीं था. उस वक्त स्थापित लेफ्ट संगठनों के बार से कोई छात्रनेता प्रेसिडेंट बना था. तब लेखक एनआर मोहंती छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर जीते थे. उन्हीं के संगठन ने जेएनयू में स्थापित वामपंथियों के मिथक को तोड़ा था. इसी साल जेएनयू में विरोध की ऐसी आंधी चली थी, जिसमें अभिजीत बनर्जी को भी जेल जाना पड़ा. उस वक्त जेएनयू में योगेंद्र यादव, सिंधु झा, सुनील गुप्ता और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार के गुरु एसएन मलाकर छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे.
क्यों शुरू हुआ विद्रोह
दरअसल उस समय एक स्टूडेंट को बिना कारण बताए कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया था. जिसके बाद छात्रों ने वीसी से इसका कारण जानना चाहा. वीसी के मुताबिक छात्र ने मिसबिहेव किया था इसलिए उसे निष्कासित किया गया. जबकि छात्र ने एक टीचर के खिलाफ पहले ही शिकायत दर्ज कराई थी. स्टूडेंट्स टीचर के निष्कासन की मांग करने लगे लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उनकी बात को अनसुना कर हॉस्टल रूम को लॉक कर दिया.
करीब 700 स्टूडेंट्स की हुई थी गिरफ्तारी
हॉस्टल रूम लॉक किए जाने के बाद स्टूडेंट्स ने विरोध शुरू किया था और लॉक तोड़कर उस स्टूडेंट की रूम में एंट्री करा दी थी. इसके बाद जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन ने एनआर मोहंती, यूनियन सेक्रेटरी और उस स्टूडेंट को कैंपस से निष्कासित कर दिया था. इसी एक्शन के बाद ही स्टूडेंट्स ने पूरे जेएनयू और वाइस चांसलर का घेराव किया था. यह मामला उस वक्त इतना गरमा गया था कि इसके बाद पुलिस सबको अरेस्ट करके ले गई थी. करीब 700 स्टूडेंट्स जेल गए थे, जिसमें करीब 250 लड़कियां थी.