भारत में दुनिया की सबसे बड़ी वॉटर लिफ्ट परियोजना, इस राज्य में हुई शुरू
तेलंगाना में शुरू हुई इस परियोजना से पहले अमेरिका की कॉलोराडो नदी पर बनी लिफ्ट परियोजना और लीबिया में मानव निर्मित नदी पर बनी वॉटर लिफ्ट परियोजना सबसे बड़ी परियोजनाएं थीं.
21 जून, 2019 को भारत के सबसे नए राज्य तेलंगाना ने एक विश्व रिकॉर्ड बनाने के साथ अपने राज्य के लिए पानी का इंतजाम करने का बड़ा कदम उठा लिया. तेलंगाना में गोदावरी नदी पर बन रहे कालेश्वरम मल्टीपर्पज लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट का शुभारम्भ हो चुका है. यह प्रोजेक्ट गोदावरी नदी के पानी को लिफ्ट करने के लिए बनाया गया है. यह दुनिया की सबसे बड़ी सिंचाई और पीने के पानी की परियोजना है.
क्या होती है वॉटर लिफ्ट परियोजना
बहुत आसान तरीके से समझें तो कुएं से पानी भरकर लाना भी एक तरीके की वॉटर लिफ्टिंग है. किसी नीची जगह पर मौजूद पानी को किसी तरह उठाकर ऊंची जगह पर पहुंचाना वॉटर लिफ्टिंग कहलाता है. घरों में आने वाले सरकारी नल के पानी को मोटर पंप लगाकर छत पर रखी टंकी में पहुंचाना घरेलू वॉटर लिफ्टिंग है. ऊंचाई पर स्थित एक बड़ी आबादी वाले क्षेत्र के लिए नदियों या बड़े जलाशयों से पानी को बड़े पंपो की मदद से लाया जाता है. इसके लिए पंप के अलावा पाइपलाइन, कैनाल, वॉटर टनल और बैराजों का इस्तेमाल भी किया जाता है.
गोदावरी नदी महाराष्ट्र के नासिक से शुरू होती है और फिर छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है. गोदावरी नदी समुद्रतल से 100 मीटर नीचे बहती है जबकि तेलंगाना राज्य समुद्र तल से औसतन 300 से 650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ऐसे में बड़े पंपों की मदद लिए बिना गोदावरी के पानी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
कालेश्वरम परियोजना से तेलंगाना के 31 में से 20 जिलों को पीने का पानी मिल सकेगा और 45 लाख एकड़ जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा. इसमें हैदराबाद और सिंकदराबाद भी शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 80,000 करोड़ रुपये है. लेकिन अनुमान है कि प्रोजेक्ट के पूरे होने तक इसकी लागत एक लाख करोड़ रुपये पहुंच जाएगी.
क्यों खास है कालेश्वरम परियोजना
कालेश्वरम परियोजना में गोदावरी के साथ मिल रहीं दो नदियों मंजीरा और हरीदा के त्रिवेणी संगम पर एक बैराज बनाया जाएगा. यह मेदीगद्दा नाम की जगह पर होगा. इस बैराज से पानी पंपों की मदद से वापस गोदावरी नदी में डाला जाएगा. फिर वहां से वॉटर लिफ्टिंग के अलग अलग तरीकों से इसे इस्तेमाल में लिया जाएगा. मेडीगद्दा से गजवेल जिले के कोंडापोचम्मा सागर तक 227 किलोमीटर की दूरी तक पानी भेजा जाएगा. इसके लिए वॉटर टनल, एक्वा डक्ट, अंडरग्राउंड पाइपलाइन और बड़े पंपों का इस्तेमाल किया जाएगा. इस 227 किलोमीटर की दूरी में पानी को 618 मीटर तक लिफ्ट कर दिया जाएगा.
कालेश्वरम प्रोजेक्ट की पूरी लंबाई 1,834 किलोमीटर है. इसमें 1,531 किलोमीटर ग्रैविटी कैनाल और 203 किलोमीटर लंबी वॉटर टनल बनाई जाएगी. ग्रैविटी कैनाल में पानी जमीन के ऊपर बहता है और वॉटर टनल में पानी जमीन के नीचे बहता है. इस परियोजना में 20 वॉटर लिफ्ट और 19 पंप हाउस लगे हैं. इस परियोजना में 20 रिजरवॉयर भी खोदे जाएंगे. इनकी क्षमता 145 हजार मीट्रिक घन होगी. ये रिजरवॉयर आपस में टनल यानी सुरंग के एक नेटवर्क से आपस में जुड़े होंगे.
जुलाई में इस प्रोजेक्ट में सात बड़े वॉटर पंप लगेंगे. प्रत्येक की क्षमता 139 मेगावाट होगी. इनके लिए जमीन के 330 मीटर अंदर पंपिग स्टेशन बनाए जाएंगे. ये गोदावरी पर बने मेदीगद्दा बैराज से रोज 2 हजार मीट्रिक घन पानी 14.09 किलोमीटर लंबी दुनिया की सबसे बड़ी वॉटर टनल से इस पानी को निकालेंगे. यहां पर 2 करोड़ लीटर क्षमता वाला एक सर्ज पूल बनाया जाएगा. यह भी दुनिया का सबसे ज्यादा क्षमता वाला भंडार होगा.
जुलाई से पानी की पंपिंग शुरू हो जाएगी. इस परियोजना के लिए करीब पांच हजार मेगावाट बिजली का इस्तेमाल होगा. 3 हजार मीट्रिक घन पानी को लिफ्ट करने के लिए 7,152 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी. सरकार का कहना है कि इतनी बिजली का इंतजाम कर लिया गया है. भारत में पहली बार 139 मेगावाट क्षमता वाले बिजली के पंपों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन पंपों को मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने बनाया है.
गोदावरी नदी में अगस्त से अक्टूबर के बीच पानी की बहुतायत होती है. इस अतिरिक्त पानी को पंपों के सहारे इस्तेमाल किया जाएगा. इस पानी की मात्रा 141 से 180 हजार मीट्रिक घन तक होती है.
इस प्रोजेक्ट के आने से राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी क्योंकि यहां के किसान साल में दो फसल उगा सकेंगे. साथ ही यहां मछलीपालन, टूरिज्म और वॉटर स्पोर्ट्स को भी बढ़ावा मिलेगा.