आज भी सपने में तेरी याद आती है

तेरे कानो की बालियां आज भी मुझे बुलाती है,
मुझे आज भी सपने में तेरी याद आती है,
मैं कैसे याद न करूं तुम्हें यादों में,
तुम्हारी खामोशी आज भी मुझे रातों में जगाती है,
नहीं जान पाओगी मेरी हालत तुम कभी,
साथ होती तो बताता मिलके कभी,
मेरे एहसास का जखीरा आज भी सलामत है,
खोज सकती हो तो लेके आना अपनी कश्ती समंदर में वहीं,
मैं कहाँ जाऊंगा बताओ तुम ही,
कह दो कि आज मुझसे तुम्हें प्यार नहीं,
चला जाऊंगा नहीं मुड़के देखूंगा आपको,
अगर मेरे चेहरे से ऐतराज है तो कोई बात नहीं,
आईना नहीं अक्स हूँ तेरा,
तू घनी धूप है तो मैं हूँ तेरा सवेरा,
जीना सीख पाओगी ही नहीं कभी मेरे बिना तुम,
मौत भी मेरी मोहब्बत के मुकम्मल होने के इंतजार में है ठहरा।।
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