कभी देखा है इच्छाधारी अंतरिक्षयान, नासा और एमआईटी की नयी खोज
इच्छाधारी नाग नागिनों की कहानिया खूब सुनी होंगी आपने, जो जरूरत पड़ने पर मनचाहा रूप और आकार ले लेते हैं। अब इसी की तर्ज पर अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने एक अनोखा स्पेसशिप बनाया है। इसके पंख अपना आकार बदल सकते हैं। नासा ने एमआईटी के शोधकर्ताओं के साथ काम करके इस नई किस्म के हवाई जहाज के पंखों को तैयार किया है।
लचीले तत्वों से बने पंख:
विमान की गति को नियंत्रित करने के लिए ये पंख अपना आकार बदल सकते हैं। दरअसल विमान के इन पंखों को लचीले तत्वों से मिलकर बनाया गया है ,इसकी वजह से यह अपने आकार में बदलाव करने में सक्षम हैं।
पारंपरिक डिजाइन के पंखों के मुकाबले कम वजनी ये पंख हल्के होने के साथ-साथ ऊर्जा की बचत में भी बेहतर हैं। उदाहरण के लिए, नए विंग का घनत्व 5.6 किलोग्राम प्रति घन मीटर है, वहीं रबर का घनत्व लगभग 1,500 किलोग्राम प्रति घन मीटर है। बताया जा रहा है कि ये पंख विमान के विभिन्न चरणों जैसे- टेकऑफ, लैंडिंग, क्रूजिंग और युद्ध अभ्यास व प्रबंधन के दौरान अलग-अलग तरह से उड़ान के आधार पर आकार में बदलाव कर सकते हैं।
पांच मीटर लंबा है प्रोटोटाइप:
इस हवाई जहाज का वर्तमान प्रोटोटाइप पांच मीटर लंबा है। यह एक वास्तविक सिंगल-सीटर प्लेन के पंख के आकार के बराबर है। शोधकर्ताओं ने इसे हाथ से बनाया। नासा का कहना है कि भविष्य में ये पंख बेसिक रोबोट्स के जरिए बनाए जा सकते हैं। यह अध्ययन कम वजन के बड़े और मजबूत ढांचे के विमान का सपना साकार करने की संभावना जगा रहा है। इसके जरिए कम लागत में शानदार प्रस्तुति वाला विमान तैयार हो सकेगा। यह अध्ययन भविष्य में विमान निर्माण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस प्रकार के अनोखे विमान का निर्माण कम लागत में अगर हो जाए तो कौन इस तकनीक को पसंद नहीं करेगा।
अंतरिक्ष यात्रियों की मदद के लिए भेजे जाएंगे रोबोट
अंतरिक्ष में नए आविष्कार के लिए अब अंतरिक्षयात्रियों के साथ-साथ कुछ रोबोट भी भेजे जाएंगे। ये रोबोट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्षयात्रियों की मदद करेंगे। ये रोबोट मधुमक्खियों के आकार के होंगे, इसलिए इन्हें एस्ट्रोबी रोबोट नाम दिया गया है। अंतरिक्ष में परीक्षण करने में शोधकर्ताओं की ये रोबोट मदद करेंगे। इसके साथ ही अंतरिक्ष में मानव एवं रोबोट के पारस्परिक व्यवहार का अध्ययन एवं नई तकनीक का परीक्षण भी किया जाएगा। इंसानों के साथ रोबोट किस तरह बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं, इसकी समझ चंद्रमा एवं अन्य जगहों की खोज के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
हो चुका है परीक्षण:
एक विशेष प्रयोगशाला में एस्ट्रोबी रोबोट्स का परीक्षण किया जा चुका है, जहां शोधकर्ताओं ने स्पेस स्टेशन के इंटीरियर का मॉकअप तैयार किया। अंतरिक्ष में ये एस्ट्रोबी रोबोट किसी भी दिशा में मुड़ सकते हैं। स्पेस स्टेशन में नेविगेशन के लिए प्रत्येर रोबोट में कैमरा और सेंसर फिट हैं। एस्ट्रोबी में रोबोटिक हाथ हैं, जिन्हें अंतरिक्षयात्री परीक्षण के दौरान सामान पकड़वाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
खुद हो जाएंगे रिचार्ज:
यह रोबोट एस्ट्रोबी बैटरी द्वारा संचालित हैं। जैसे ही इनकी बैटरी कम होगी, ये खुद-ब-खुद पावर स्टेशन पर जाकर रिचार्ज हो सकेंगे। इन रोबोट को पूरी तरह स्वायत्त मोड पर भी संचालित किया जा सकता है या पृथ्वी से रिमोट कंट्रोल के जरिए अंतरिक्षयात्री एवं शोधकर्ता भी इनको नियंत्रित कर सकते हैं।