कल से शुरू हैं चैत्र नवरात्र, इस घड़ी पूजा से बरसेगी मां की कृपा
चैत्र नवरात्र 2019 शनिवार से शुरू हो रहे हैं। नौ दिन देवी मां की कृपा बरसेगी। मंदिरों और घरों में तैयारियां तेज हो गई हैं। पहले दिन घटस्थापना के साथ व्रत व पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी। मंदिरों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
चैत्रमास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पहले दिन घटस्थापना के साथ माता की आराधना शुरू हो जाएगी। मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से 12:34 बजे तक है। इस बार नवरात्र रेवत्री नक्षत्र से शुरू होगा। उदय काल में रेवती नक्षत्र का योग होने से साधना और सिद्धि का फल कई गुना प्राप्त होगा। रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र है। ज्योतिष पं. आदित्य इस नक्षत्र का शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से एक घंटे तक स्पर्श होगा। उदय काल से करीब 45 मिनट तक यह स्थिति बनी रहेगी। यह काल तंत्र साधना की दृष्टि से उत्तम है। वैसे सुबह 6 बजे से 10:07 बजे ही मुहूर्त होगा।
घटस्थापना पर रखे ध्यान : घटस्थापना से ही नवरात्र पूजन शुरू होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि घटस्थापना का मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। कलश स्थापना के साथ मां भगवती का आह्वान किया जाता है। शुभ मुहूर्त में घट स्थापित न हो पाए तो अभिजित मुहूर्त सही होता है। चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग होने पर कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए। घटस्थापना की सबसे महत्वपूर्ण कारक प्रतिपदा तिथि और दोपहर से पहले का समय है। 6 अप्रैल को प्रात? 6 बजे से 10 बजकर 07 मिनट तक कलश स्थापना का मुहुर्त रहेगा। अभिजित मुहूर्त 11:46 बजे से 12:36 बजे *तक रहेगा।
नवरात्र के पहले दिन यानि प्रतिपदा को मंगल ग्रह की शांति के लिये पूजा की जाती है। इसके साथ ही मंगल की शांति के लिये प्रतिपदा को स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये।
शुद्ध पवित्र आसन पर बैठक माता का मंत्र जाप करना चाहिए। रुद्राक्ष या चंदन की माला से पांच या कम से कम एक माला जप करना चाहिए।
कलश पर नारियल रखना चाहिए। कलश स्थापना का यह उद्देश्य तभी सफल होता है। जब कलश पर रखा हुआ नारियल का मुख पूजन करने वाले व्यक्ति की ओर हो। नारियल का मुख नीचे होने से शत्रुओं की वृद्घि होती है। नारियल खड़ा और मुख ऊपर की ओर होने से रोग बढ़ सकते हैं।
इस वर्ष घटस्थापना प्रात: काल 7:20 से 8:53 तक शुभ चौघड़िया में सर्वोत्तम है। किसी कारण नही कर पाए अभिजीत मुहूर्त्त एवं मध्याह्न 11:30 से 12:18 तक किया जाना उत्तम होगा। वैसे इस वर्ष घटस्थापना सुबह सूर्योदय से दोपहर 02:58 से पूर्व प्रतिपदा तिथि में किया जा सकता है।
हर वर्ष चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीनों में चार नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक चलने वाले नवरात्र ही ज्यादा लोकप्रिय हैं। यह मां भगवती की आराधना के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। चैत्र नवरात्र 06 अप्रैल से प्रारम्भ होकर 14 अप्रैल 2019 दिन रविवार को प्रात 6 बजे तक नवमी तत्पश्चात दशमी तिथि तक होगा। शनिवार को ही प्रतिपदा तिथि सूर्योदय से दोपहर 2:58 बजे तक होगा। 05 अप्रैल दिन शुक्रवार को दोपहर 01 बजकर 36 मिनट पर प्रतिपदा तिथि लग रही है। उदया तिथि में नवरात्र का आरम्भ 06 अप्रैल दिन शनिवार से ही माना जायेगा ।
12 अप्रैल 2019 को सुबह 10:18 बजे से 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि होगी। उसके बाद नवमी लगेगी। 13 अप्रैल को महानवमी का व्रत होगा। नवरात्र हवन -पूजन 14 अप्रैल को प्रात 6 बजे के पूर्व किसी भी समय किया जा सकता है । नवरात्र का पारण 14 अप्रैल को सुबह 6 बजे के बाद होगा।