आपके स्मार्टफोन से कितना रेडियेशन निकल रहा है, जानिये ऐसे

Spread the love

आज के दौर में स्मार्टफोन एक जरूरत बन चुका है. स्मार्टफोन के माध्यम से हमारे कई काम काफी आसान हो जाते हैं. जब भी हम नया स्मार्टफोन खरीदते हैं तो इसके फीचर्स पर जरूर गौर करते हैं. स्मार्टफोन का कैमरा कैसा है, साउंड क्वालिटी ठीक है या नहीं, इंटरनेट के इस्तेमाल के लिहाज से कितना बेहतर है, स्टोरेज क्षमता कम है या ज्यादा… इन सब चीजों का ख्याल जरूर रखते हैं लेकिन वो स्मार्टफोन पर्यावरण के लिहाज से कैसा है? इसका ध्यान लोग शायद ही रखते होंगे. वहीं अब ऐसी एक लिस्ट सामने आई है, जिसमें सबसे ज्यादा रेडिएशन पैदा करने वाले स्मार्टफोन के बारे में बताया गया है.

रेडिएशन का खतरा लगभग सभी स्मार्टफोन में पाया जाता है. लेकिन जर्मन फेडलर ऑफिस ऑफ रेडिएशन प्रोटेक्शन के जरिए रेडिएशन के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरनाक स्मार्टफोन की लिस्ट जारी की गई है. इस लिस्ट में शाओमी और वन प्लस के स्मार्टफोन सबसे आगे हैं. इस लिस्ट में वे स्मार्टफोन हैं जिनसे सबसे ज्यादा रेडिएशन निकलता है.

इस लिस्ट में 16 स्मार्टफोन हैं, जिनमें सबसे आगे शाओमी एमआई ए1 है. इस स्मार्टफोन से सबसे ज्यादा रेडिएशन निकलता है. इस फोन का स्पेसिफिक अब्जॉर्प्शन रेट (SAR) 1.75 वाट प्रति किलोग्राम है. वहीं दूसरे नंबर पर 1.68 वाट प्रति किलोग्राम के साथ वन प्लस 5 टी और तीसरे नंबर पर 1.58 वाट प्रति किलोग्राम के साथ शाओमी एमआई मैक्स3 है. 16 स्मार्टफोन वाली इस लिस्ट में चार शाओमी के तो चार वन प्लस के स्मार्टफोन है. इसके अलावा आईफोन 7 और आईफोन 8 भी इस लिस्ट में शामिल है.

READ  1.36 करोड़ में होगी अन्तरिक्ष की सैर

वहीं कम रेडिएशन वाली लिस्ट में सैमसंग के स्मार्टफोन ने बाजी मारी है. कम रेडिएशन वाले 16 स्मार्टफोन की लिस्ट में सैमसंग के आठ स्मार्टफोन शामिल है. इसमें टॉप पर Samsung Galaxy Note 8 है, जिसका स्पेसिफिक अब्जॉर्प्शन रेट (SAR) 0.17 वाट प्रति किलोग्राम है.

क्या हैं मोबाइल रेडियेशन से नुकसान

विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि इससे कैंसर का खतरा पैदा हो सकता है. इससे जुड़ी एक कैंसर पीड़ित की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है. अपने मोबाइल सेट पर *#07# डायल कर आप रेडिएशन की खुद भी जांच करते रहिए.

सफर में हों या बाजार में, घर में हों या सरे राह, जैसे ही आप अपने चारो तरफ एक नजर डालेंगे, कानो में झुलनी (एयर फोन) लटकाए, हथेली पर मोबाइल टिकाए तमाम ऐसे युवा और बड़े-बूढ़े दिख जाएंगे, लगेगा, मानो सारे जहां का दर्द बस उनके ही जिगर में है. फेसबुक, व्हाटसएप जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने हर छोटे-बड़े को बुरी तरह व्यस्त और देश-दुनिया से बेखबर सा कर दिया है. इससे लोगों में बेवजह चिड़चिड़ापन, तनाव, गुस्सा भी बढ़ रहा है. स्वास्थ्य विज्ञानी आगाह कर चुके हैं कि सबसे खतरनाक साबित हो रहा है मोबाइल का रेडिएशन. इस बदहवाशी का कोई क्या करे. मोबाइल पर चौबीसो घंटे नाचते रहने के अलावा उनके पास जैसे और कोई काम नहीं रह गया. डब्ल्यूएचओ के बुलावे पर दुनिया भर के वैज्ञानिक रेडिएशन से नुकसान पर गंभीर मंत्रणा कर रहे हैं. भारत में जब अंग्रेजों का राज था, उन्होंने हिंदुस्तानियों को उस वक्त चाय की चुस्कियां लेने की आदत पकड़ा दी. फिर तो ऐसी लत लगी कि बड़े-बड़े चाय बागान, बड़ी-बड़ी टी-कंपनियों के अरबों के सालाना टर्नओवर का आज तांता लग चुका है. आजकल कुछ ऐसी ही लहर मोबाइल की आई हुई है. तर्क दिए जाते हैं कि क्या करें, आज हर काम तो मोबाइल के भरोसे हो गया है. चिकित्सकों के लाख आगाह किए जाने के बावजूद कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है.

READ  वाट्सएप के इन फीचर्स के बारे में नहीं पता होगा आपको

कैंसर का गंभीर खतरा

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर का खतरा बना रहता है. इससे सड़क हादसों में भी इजाफा हो रहा है. स्क्रीन को अपलक देखने से आंखों में जलन के साथ ही रंगों की पहचान की शक्ति भी समाप्त होने लगती है. इससे लोगों में बेवजह चिड़चिड़ापन, तनाव, गुस्सा भी बढ़ रहा है.

मोबाइल फोन रेडिएशन को गैर आयनीकरण करार दिया गया है. गैर आयनीकरण रेडिएशन से अणुओं को आयनित किए बिना ऊर्जा अन्य रूपों में निःसृत होती है. गैर आयनीकरण रेडिएशन में रेडियो तरंगें, दृश्यमान प्रकाश आदि शामिल होते हैं. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. काफी छानबीन के बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन-डब्ल्यूएचओ) ने भी मान लिया है कि मोबाइल रेडिएशन दिमाग के सेल्स को प्रभावित कर रहा है.

मोबाइल के रेडिएशन से दो तरह का कैंसर (ग्लिमा और ध्वनिक न्यूरोमास) हो सकता है. इस रेडिएशन से तंत्रिका तंत्र के रसायन में तेजी से बदलाव होता है. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन बॉडी फैट में मौजूद प्रोटीन को तेजी से घटाने और अमीनो एसिड को बढ़ाने लगता है. शरीर में ग्लूकोज और यूरिक एसिड बढ़ जाता है. अंतर्राष्ट्रीय एवं भारतीय मानक के अनुसार मोबाइल फोन का रेडिएशन लेवल 1.6 वाट/किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए मगर प्रतिस्पर्धा के दौर में तमाम कंपनियां कम कीमत पर मोबाइल हैंडसेट बाजार में लाने के लिए मानक की अनदेखी कर रही हैं.

क्या सावधानियां बरतें

मोबाइल का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी के साथ करें. मसलन, सेट के साथ प्रोटेक्टिव केस का जरूर इस्तेमाल करें. सेट को शरीर से दूर रखें. शर्ट-पैंट की जेब में मोबाइल न रखें. शरीर से सटे होने पर मोबाइल का रेडिएशन और ज्यादा तीव्रता से प्रभावित करता है. लैंडलाइन फोन का ज्यादा इस्तेमाल करें. जब जरूरत न हो, मोबाइल स्विच ऑफ करके रखें. रात में मोबाइल बंद रखें. सेट को देर तक कान से लगाकर बात न करें. चार्जिंग के दौरान मोबाइल पर बात करने से जरूर परहेज करें क्योंकि ऐसे में रेडिएशन लेवल दसगुना तक बढ़ जाता है. मोबाइल में सिग्नल कमजोर होने पर, बैट्री डिस्चार्ज होने की स्थितियों में भी इस्तेमाल न करें.

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange