माघ पूर्णिमा को त्रिवेणी में स्नान के साथ ही पूरा होगा कल्पवास

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हिंदू धर्म में माघ के महीने विशेष महत्व बताया गया है। इस माह का नाम मघा नक्षत्र के नाम पर है। इस मास में कल्पवास की बड़ी महिमा है। इस माह तीर्थराज प्रयाग में संगम के तट पर निवास को कल्पवास कहते हैं।

कल्पवास का अर्थ
कल्पवास का अर्थ है संगम के तट पर निवास कर वेदों का अध्ययन और ध्यान करना। कल्पवास धैर्य, अहिंसा और भक्ति का संकल्प होता है। इस दौरान प्रयागराज में हर साल माघ मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होते हैं। प्रयाग में कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कल्पवास का समापन माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ होता है। मान्यता है कि इस दिन प्रयाग में त्रिवेणी स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पूरे माह चलता है माघ मेला 
माघ मेला की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन से होती है। यह हिन्दुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है। प्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार इत्यादि स्थलों का माघ मेला प्रसिद्ध है। प्राचीन मान्यता है कि माघ के धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी। वहीं भृगु ऋषि के सुझाव पर व्याघ्रमुख वाले विद्याधर और गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के महाम्त्य से ही श्राप से मुक्ति मिली थी। पद्म पुराण के अनुसार-माघ स्नान से मनुष्य के शरीर के कष्‍ट दूर हो जाते हैं। 

पुष्य नक्षत्र से बढ़ा स्नान का महत्व
शास्त्रों के अनुसार यदि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है। खास बात यह है कि इस बार माघ पूर्णिमा पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है। पुष्य नक्षत्र नक्षत्रों का राजा माना जाता है। इस नक्षत्र में किया गया दान चिरस्थायी होता है। इसलिए इस बार माघ पूर्णिमा का खास महत्व हो गया है।

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