प्रकाश की रफ़्तार को चुनौती देने की कोशिश

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दुनिया की सबसे फास्टेस्ट चीज अगर कुछ है तो वह प्रकाश है. इसकी रफ़्तार की बराबरी करने की इंसान आज तक बस कल्पना ही करता आया है. बेशक इसकी स्पीड की बराबरी करना आज संभव ना हो लेकिन इसकी गति को देख पाना आज संभव हो गया है. अब एक ऐसा कैमरा बनाने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है जो इतनी तेजी से फोटोज क्लिक कर सकता है कि इसके द्वारा प्रकाश की गति को भी देख पाना संभव है. यही नहीं फिलहाल जिस तेजी से यह कैमरा फोटोज क्लिक कर पाता है इसे उससे 100 गुना ज्यादा फास्ट बनाने पर भी काम किया जा रहा है.अमेरिकी कनाडाई वैज्ञानिकों ने ऐसा कैमरा विकसित किया है जो स्लो मोशन में प्रकाश की गति को कैप्चर कर सकता है. एक सेकेण्ड में 10 लाख करोड फ्रेम कैद कर सकने वाले इस कैमरे को दुनिया का सबसे तेज कैमरा माना जा रहा है. इसकी मदद से फिजिक्स और बायलॉजी की दुनिया के कई रहस्य सामने आ रहे हैं. यह बिलकुल समय की गति को कम कर देने या रोक देने जैसा है. इससे प्रकाश और पदार्थो के बीच के पारस्परिक प्रभावों के बारे में समझने में भी काफी मदद मिलेगी.

इस कैमरे में टी-कप मैथड का इस्तेमाल किया गया है. इस मैथड में स्ट्रीक कैमरा को सेकेण्ड स्टेटिक कैमरा और टोमोग्राफी में इस्तेमाल होने वाले डाटा कलेक्शन मैथड के साथ मिक्स कर दिया जाता है. केवल फेमटोसेकेण्ड स्ट्रीक कैमरा इस्तेमाल करने से इमेज की क्वालिटी लिमिटेड हो जाती है . इसलिए इमेज की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए इसमें एक और कैमरा शामिल किया गया जो स्थिर तस्वीरें ले सकता था.

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प्रकाश की तेजी से सन्देश भेजने की हो रही है कोशिश

प्रकाश की गति इतनी ज्यादा होती है कि यह लंदन से न्यूयार्क की दूरी को एक सेकेंड में 50 से ज़्यादा बार तय कर लेगी. लेकिन मंगल और पृथ्वी के बीच (22.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी) यदि दो लोग प्रकाश गति से भी बात करें, तो एक को दूसरे तक अपनी बात पहुंचाने में 12.5 मिनट लगेंगे. वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट हमारी सौर व्यवस्था के सबसे बाहरी हिस्से यानी पृथ्वी से करीब 19.5 अरब किलोमीटर दूर है. हमें पृथ्वी से वहाँ संदेश पहुँचाने में 18 घंटे का वक्त लगता है. इसीलिए प्रकाश से ज्यादा गति में संचार के बारे में दिलचस्पी बढ़ रही है. जी हाँ, अचरज तो होगा पर वैज्ञानिक अब इस दिशा में काम करने में जुटे हैं. अंतरिक्ष में ख़ासी दूरियों के कारण यदि संदेश प्रकाश की गति से भी भेजा जाए तो उसे एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचने में समय लगता है. वैसे प्रकाश से अधिक गति का संचार भौतिक विज्ञान के स्थापित नियमों को तोड़े बिना संभव नहीं है. लेकिन इस दिशा में कोशिश शुरू हो चुकी है, जिसमें प्रकाश से भी तेज़ गति से संचार को संभव माना जा रहा है. मनुष्य ने सबसे ज्यादा दूरी चंद्रमा तक तय की है करीब 384,400 किलोमीटर. प्रकाश को ये दूरी तय करने में महज़ 1.3 सेकेंड का वक्त लगता है. अगर कोई चंद्रमा से प्रकाश की गति से संचार करे तो इतना ही वक्त लगेगा. अंतर ज्यादा नहीं है, इसलिए इस मामले में तो प्रकाश से ज्यादा की गति से संचार करने या नहीं करने से फर्क नहीं पड़ता. अगर पृथ्वी की कक्षा में कोई सेटेलाइट है और तो उससे जानकारी पृथ्वी पर संदेश मिलने में 30 मिनट लगते हैं. फिर जो कमांड पृथ्वी से दी जाती है, उसे सेटेलाइट तक पहुँचने में 30 मिनट और लगते हैं. यानी, पृथ्वी से कमांड को अंजाम देने में कुल एक घंटे का वक्त लग जाता है.

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लेकिन अगर हम मंगल तक की दूरी तय करें, तो फर्क समझ में आता है. सौर व्यवस्था के बाहरी क्षेत्र में मौजूद वॉयेजर से भी संपर्क साधने के समय प्रकाश से तेज़़ गति से संचार की बात समझ में आती है. सबसे नजदीकी तारा मंडल अल्फ़ा सेटॉरी पृथ्वी से 40 ट्राइलियन किलोमीटर दूर है. वहां के संदेश को पृथ्वी तक पहुंचने में 4 साल का वक्त लगता है. ऐसे में परंपरागत संचार व्यवस्था बहुत उपयोगी नहीं है. आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत के मुताबिक चीजें ऐसी ही रहेंगी. आइंस्टाइन की स्पेशन थ्यूरी ऑफ़ रिलेटिविटी के मुताबिक कोई भी चीज़ प्रकाश से तेज़ गति से गतिमान नहीं हो सकती. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि प्रकाश की गति सर्वमान्य नियतांक (कॉन्स्टेंट) है. लेकिन आज अंतरिक्ष में सभी संचार रेडियो तरंगों की मदद से होता है, जो निर्वात में प्रकाश की गति से दूरी तय करता है. संचार के लिए आप्टिकल लेज़र सूचना तकनीक का इस्तेमाल भी शुरू हुआ है लेकिन यह तकनीक अभी पूरी तरह से विकसित नहीं है.

हम संचारण की गति को नहीं बढ़ा सकते लेकिन हम प्रति सेकेंड भेजे जानी वाली सूचनाओं का वॉल्यूम बढ़ा सकते हैं. इसके लिए करियर फ्रीक्वेंसी को हाई स्पेक्ट्रम की ओर आठ गीगा हटर्ज से 30 गीगा हटर्ज तक बढ़ाया जा रहा है. सिग्नल की फ्रीक्वेंसी ज्यादा होने पर उसका बैंडविथ भी ज्यादा होगा और प्रति सेकेंड ज्यादा सूचनाओं को भेजना संभव हो पाएगा.

प्रकाश से तेज़़ गति से संचार के लिए दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है. इसमें से एक है क्वांटम इनटेनग्लमेंट- ये एक विचित्र गुण है, जिसमें दो पार्टिकल अपने गुणों को शेयर कर सकते हैं भले उनके बीच की दूरी कितनी भी क्यों ना हो. अगर इनमें से एक पार्टिकल में बदलाव संभव है तो इससे दूसरे की स्थिति में भी स्वतः बदलाव होता है. यानी अगर हमारे पास इनटेंग्लड पार्टिकिल्स का एक जोड़ा है जिसमें से एक पार्टिकल स्पेस में हमारे सौर मंडल के सबसे बाहरी हिस्से में है और दूसरा पृथ्वी पर, ऐसे में अंतरिक्ष के पार्टिकल में किसी भी बदलाव का असर उसके दूसरे हिस्से पर तुरंत पृथ्वी पर पड़ेगा. हालांकि हमें इन बदलावों का पता तब तक नहीं चलेगा जब तक कि हमें स्पेसक्राफ्ट से संदेश नहीं मिलेगा और ये संदेश प्रकाश की गति से तेज़़ रफ़्तार से नहीं मिल सकता. यानी क्वांटम इनटेंग्लमेंट के रास्ते प्रकाश से तेज़़ गति को हासिल कर पाना संभव नहीं है.

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