विक्रम लैंडर की लोकेशन मिली, जानिये आखिरी मिनट में क्या हुआ था लैंडर के साथ

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को विक्रम लैंडर का पता चल गया है. लेकिन अभी तक विक्रम से कोई संपर्क नहीं हो सका है. ऑर्बिटर ने विक्रम की तस्वीरें भेजी हैं लेकिन कोई संपर्क नहीं हो सकता है. उससे संपर्क करने की कोशिशें की जा रही हैं.

भारतीय अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ के. सिवन ने लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने और मिशन चंद्रयान-2 के बारे में कहा था कि अभी सारी उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं. वैज्ञानिक उससे अगले चौदह दिनों तक संपर्क साधने की कोशिश करते रहेंगे. इस ऑर्बिटर की लाइफ मात्र एक साल के लिए तय की गई थी, लेकिन ऑर्बिटर में मौजूद अतिरिक्त ईंधन की वजह से अब इसकी उम्र 7 साल तक लगायी जा रही है.

सभी देशों ने की सराहना

चंद्रयान-2 को लेकर देश-दुनिया से लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. इनमें जिज्ञासा ज्यादा है. आखिर के 15 मिनट में चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम लैंडर का क्या हुआ. इसरो ने इन 15 मिनटों को पहले ही दहशत का समय बताया था. विक्रम लैंडर ने योजना के तहत शनिवार रात 1.38 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश शुरू की. अगले 10 मिनट में उसने पहला चरण पूरा किया. वह 30 किमी की ऊंचाई से 7.4 किमी की ऊंचाई पर पहुंच गया. इसरो ने इसके लिए जो ट्रेजेक्टरी (रास्ता) तय किया था, वह बिल्कुल उस पर सटीक चला. अगले 38 सेकंड में उसे 5 किमी की ऊंचाई तक आ जाना था.

उल्टा हो गया था लैंडर

इस बीच विक्रम लैंडर की फाइन-ब्रेकिंग भी शुरू हो गई. कुछ सेकंड के लिए लैंडर बिल्कुल उलटा हो गया. चूंकि थ्रस्टर इंजन चालू थे, इसलिए नीचे की ओर आने की उसकी गति घटने की बजाय बढ़ गई. अगले चरण में लैंडर को 5 किमी की ऊंचाई से 400 मीटर पर पहुंचना था, लेकिन यहां शायद कुछ ठीक नहीं हुआ और लैंडर रास्ते से हट गया. इसरो चेयरमैन के सिवन ने ऐलान किया कि 2.1 किमी की ऊंचाई तक लैंडर का प्रदर्शन सही रहा. उसके बाद ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया. तो आखिर लैंडर के साथ क्या हुआ?

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335 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने का आखिरी टेलीमेट्री डेटा मिला था. लैंडर की हॉरिजोंटल गति 48.1 मीटर प्रति सेकंड थी. यह रफ्तार शून्य होनी चाहिए थी. वर्टिकल गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी. संभावना कम है कि लैंडर चंद्रमा की सतह से बहुत जोर से न टकराया हो.

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