आपके घर में लगा एसी कब बन जाता है जानलेवा

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अभी जो मॉर्डन एसी हैं उसमें पहले के मुकाबले कम ज़हरीली गैस इस्तेमाल की जाती है. ये R-290 गैस होती है, इसके अलावा भी कई और गैस हैं. पहले इसमें क्लोरो फ्लोरोकार्बन का इस्तेमाल किया जाता था. ये वही गैस है जिसे ओज़ोन लेयर में सुराख़ के लिए ज़िम्मेदार माना जाता रहा है. बीते क़रीब 15 सालों से इस गैस के इस्तेमाल को ख़त्म करने की बात की जा रही है. फिर हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन का इस्तेमाल हुआ. अब इसे भी हटाया जा रहा है.’

अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आपके घर में जो एसी है, उसमें कौन सी गैस होनी चाहिए?

अभी भारत में जिस गैस का ज़्यादातर इस्तेमाल हो रहा है, वो हाइड्रो फ्लोरो कार्बन है. कुछ कंपनियों ने प्योर हाइड्रो कार्बन के साथ एसी बनानी शुरू की है. पूरी दुनिया में इसी गैस के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है. ये गैस बाकियों से बेहतर होती हैं. इसके अलावा कोशिश ये भी की जा रही है कि नैचुरल गैसों का इस्तेमाल किया जा सके. क्लोरो फ्लोरो से सीधे हमारे शरीर पर कोई असर नहीं होता है. लेकिन अगर ये गैस लीक होकर वातावरण में मिल जाए तो नुकसानदायक हो सकती है. सामान्यतः एसी से निकली गैस से सिर दर्द की शिकायतें तो होती हैं, लेकिन मौत कम ही मामलों में होती है.

लीकेज का पता चलना है मुश्किल

एसी की गैस की कोई गंध नहीं होती है. लेकिन इसके बावजूद भी गैस लीक इन कुछ वजहों से होती है, जिस पर ध्यान रखकर इसका पता लगाया जा सकता है. अगर आपका एसी सही से फ़िट नहीं है, जिन पाइपों में गैस दौड़ती है, वो सही से काम न कर रहे हों, पुराने एसी की ट्यूब में ज़ंग लगी हो, अगर आपका एसी घंटों की मेहनत के बाद भी कमरे को अच्छे से ठंडा नहीं कर रहा हो तो सतर्क हो जाने की जरूरत है. यह सभी गैस के लीकेज की तरफ संकेत करते हैं. अगर आपके घर में एसी है तो उसकी हर साल सर्विस करवाएं, दिन में एक बार कमरे की खिड़कियां-दरवाज़े खोल दें, सर्विस किसी भरोसेमंद, सर्टिफ़ाइड मैकेनिक से करवाएं, गैस की क्वालिटी का ध्यान रखें क्योंकि ग़लत गैस डालने से भी दिक्क़त होती है. सारे वक़्त कमरे, खिड़कियों को बंद न रखें उन्हें कभी कभी खोलना भी चाहिए ताकि प्रदूषित हवा निकल सके. जब आप कमरे की खिड़कियां या दरवाज़ें खोलें तो एसी बंद करना न भूलें. ऐसा करने से आपके बिजली का बिल ज़्यादा नहीं बढ़ेगा.

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कितना हो एसी का तापमान

पलंग या सोफ़े पर बैठकर टीवी देखते हुए अक्सर आप एसी का रिमोट उठाकर तापमान 16 या 18 तक ले आते हैं लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत पर असर डाल सकता है. घरों या दफ़्तरों में एसी का तापमान 25-26 डिग्री सेल्सियस ही रखना चाहिए. दिन के मुकाबले रात में तापमान कम रखा जा सकता है. ऐसा करने से सेहत भी ठीक रहेगी और बिजली का बिल भी कम आएगा. लेकिन अगर आप एसी का तापमान इससे कम रखेंगे तो एलर्जी या सिरदर्द शुरू हो सकता है. बुजुर्गों और बच्चों की इम्युनिटी सिस्टम कमज़ोर होता है, ऐसे में एसी का तापमान सेट करते वक़्त इसका ख़याल रखना चाहिए. इसी साल जून में ऊर्जा मंत्रालय ने सलाह दी थी कि एसी की डिफ़ॉल्ट सेटिंग 24 डिग्री सेल्सियस रखी जाए ताकि बिजली बचाई जा सके. ऊर्जा मंत्रालय का कहना था कि अगले छह महीने तक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा और प्रतिक्रियाएं ली जाएंगी. मंत्रालय ने दावा किया था कि इससे एक साल में 20 अरब यूनिट बिजली बचेगी. दुनिया के कुछ देशों में भी एसी का तापमान तय करने की कोशिशें हुई हैं. जिसमें चीन में 26 डिग्री, जापान में 28 डिग्री, हांगकांग में 25.5 डिग्री और ब्रिटेन में 24 डिग्री तय किया गया है. पर्यावरण विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि भारत जैसी जलवायु वाले देश में में एसी का तापमान 26 डिग्री सेल्सियल रखा जाना चाहिए.

कितने घंटे चलायें एसी

अगर आपके घर अच्छे से बने हैं, बाहर की गर्मी अंदर नहीं आ रही है तो आप एक बार एसी चालू करके ठंडा होने पर बंद कर सकते हैं. एक बात कही जाती है कि अगर आप 24 घंटे एसी में रहेंगे तो आपकी इम्युनिटी कम हो सकती है. आपका कमरा अगर पूरी तरह बंद है तो एक वक्त के बाद उसमें ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी. ये ज़रूरी है कि कहीं न कहीं से ताज़ा हवा अंदर आए. दफ़्तरों में एसी का तापमान कम रखने की आदत विदेशों से आई है. वहां लोग ठंडे में रहते हैं. लेकिन भारत में लोगों को गर्म में रहने की आदत होती है. ऐसे में जब इतने कम तापमान में लोग रहते हैं तो छींक आना और सिर दर्द जैसी दिक्क़तें शुरू होती हैं. दफ़्तरों में एसी कम रखने से सेहत, बिजली बिल और आपके काम की गुणवत्ता पर भी असर होता है. हालांकि दफ़्तरों में एसी का तापमान कम रखने की वजह मशीनें भी होती हैं. दूसरा विकल्प ये है कि दफ़्तरों के एसी में बैठने वाले लोग बाहर आते-जाते रहें ताकि ताज़ा हवा आपको मिलती रहे. इसके अलावा सेंट्रल एयरकंडीशन सिस्टम की नियम से सफाई की जानी चाहिए. कई बार इसमें फंफूद या गंदगी जम जाती है जिसके रास्ते आई हवा आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है.

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