जानिये भारत के पहले उपग्रह की ख़ास बातें
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत आज एक महाशक्ति के रूप में उभर चुका है, बहुत से देश कम लागत में अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए आज भारत पर निर्भर हैं। देश के अंतरिक्ष के इस सफर में 19 अप्रैल का खास महत्व है। यही वह दिन है जब 1975 को भारत रूस की मदद से अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च कर अंतरिक्ष युग में दाखिल हुआ। यह भारत का पहला वैज्ञानिक उपग्रह था। आइए जानें इसके बारे में खास बातें:
आर्यभट्ट का नाम इंदिरा गांधी ने तय किया था. इसका नाम मशहूर खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।
आर्यभट्ट ने पाई का सही मान 3.1416 निकाला था।
आर्यभट्ट उपग्रह लॉन्च होने के 17 साल के बाद 11 फरवरी 1992 को पृथ्वी पर वापस आया।
360 किलोग्राम वजनी आर्यभट्ट को सोवियत संघ के इंटर कॉसमॉस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था।
बिजली की आपूर्ती की कमी के चलते यह 4 दिन तक रुका रहा था.
आर्यभट्ट को बंगलुरु के पीन्या में तैयार किया गया था लेकिन इसका प्रक्षेपण कॉस्मॉस-3 से हुआ था.
रिजर्व बैंक को ने इस ऐतिहासिक दिन को सेविब्रेट करने के लिए 1976 और 1997 के 2 रुपए के नोट पर सैटेलाइट की तस्वीर भी लगाई थी।
आर्यभट्ट उपग्रह का मुख्य उद्देश्य एक्स रे, खगोल विद्या, वायुविज्ञान और सौर भौतिकी से जुड़े प्रयोग करना था।