छोटी-छोटी कमियों से दुखी होनेवाले लोग एक बार स्टीफेन हॉकिंग के बारे में जरूर जानें
बहुत कम ऐसे वैज्ञानिक होते हैं, जो समाज के विरोध की परवाह किये बगैर अपनी बात पर अटल रहते हैं. स्टीफेन हॉकिंग भी ऐसे ही वैज्ञानिकों में गिने जाते हैं. स्टीफेन हॉकिंग ऐसे लोगों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत हैं, जो अपनी छोटी-छोटी कमियों से दुखी होकर डिप्रेशन में चले जाते हैं और उन कमियों के लिए दूसरों को दोष देते रहते हैं. स्टीफेन हॉकिंग ने करीब पांच दशक तक ऐसी बीमारी को झेला है, जिसके कारण उनका पूरा शरीर लकवाग्रस्त था. वे मोटर न्यूरॉन संबंधित बीमारी से ग्रसित थे. वे व्हील चेयर पर एक मशीन की मदद से लोगों से बातचीत कर पाते थे. वे उस समय इस रोग के शिकार हुए, जिस समय ब्लैक होल पर रिसर्च कर रहे थे. यह रिसर्च वे ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझने के लिए कर रहे थे. हालांकि उन्होंने इस रोग की हालत में ही थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और ब्लैक होल पर बेहतरीन काम किया. उनके इस रिसर्च को पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों द्वारा स्वीकार किया गया.
जब भगवान के अस्तित्व पर उठाया सवाल
90 के दशक में जब नासा द्वारा एक ऐसे ग्रह की खोज की गयी, जो एक अन्य तारे की परिक्रमा कर रहा था और उसकी दूरी भी अपने तारे से करीब उतनी ही थी, जितनी पृथ्वी की सूर्य से है. उस समय उन्होंने भगवान के अस्तित्व पर सवाल उठाया. उनका कहना था कि इंसानों की लिए सोच समझ के पृथ्वी को इस लायक नहीं बनाया गया है. अर्थात् इसे भगवान ने नहीं बनाया. इस बात का ईसाई धर्म गुरुओं द्वारा उनका काफी विरोध किया गया. यह बात साबित करती है उनके अंदर इतनी हिम्मत थी की वे बनी-बनायी धारणाओं के विरोध में बोलने की क्षमता रखते थे. स्टीफेन हॉकिंग का मानना था कि इस ब्रह्मांड में सबसे बड़ी शक्ति गुरुत्वाकर्षण है. इसी की मदद से पूरे ब्रह्मांड का संचालन हो रहा है. बिग बैंग थ्योरी के पीछे भी यही है. उनका मानना था कि यदि सब कुछ समाप्त भी हो जाये, तो गुरुत्वाकर्षण की मदद से एक बार फिर से नयी शुरुआत की जा सकती है. उन्होंने एक किताब भी लिखी ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ जो बेस्ट सेलर बन गयी.
निकट भविष्य की तकनीक में भी दिया योगदान
अभी सूचना क्रांति के दौर में मोबाइल, लैपटॉप हर हाथ में है, जो कंप्यूटर का ही एक रूप है. आनेवाले समय में कंप्यूटर क्वांटम थ्योरी पर काम करेंगे, जो अभी के कंप्यूटरों से आकार में और भी कम और उनसे हजारों गुना अधिक शक्तिशाली होंगे. इस क्वांटम थ्योरी पर भी स्टीफेन हॉकिंग ने रिसर्च किया. न सिर्फ रिसर्च किया बल्कि थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और क्वांटम थ्योरी दोनों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया, जबकि ये दोनों अलग-अलग क्षेत्र हैं.
सुरक्षित रहना है, तो दूर रहो एलियंस से
बिल्कुल उन्होंने वैज्ञानिकों को ऐसी ही नसीहत दी थी. उनका मानना था कि यदि एलियंस हैं और वे तारों के बीच यात्रा करने में सक्षम हैं, तो वे हमसे जरूर आगे होंगे. उन्होंने इसका सीधा उदाहरण दिया था कि अगर एलियंस पृथ्वी पर आये, तो उनके आने से हमारा वैसा ही हाल होगा, जैसा अमेरिका में कोलंबस के जाने के बाद रेड इंडियंस का हुआ था. अपने से पिछड़ी सभ्यता का ब्रिटिशों ने लगभग पूरी तरह से खात्मा ही कर दिया था.
खैर 2014 में जब वे फेसबुक से जुड़े, तो उन्होंने सभी को सबसे पहला संदेश यही दिया कि जिज्ञासु बनो. जब तक हम जिज्ञासु नहीं बनेंगे, तब तक कुछ नया नहीं कर सकेंगे. उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है. अत: जो युवा छोटी-छोटी तकलीफों से परेशान होकर जीवन को समाप्त करने की सोचते हैं, वे एक बार स्टीफेन हॉकिंग के जीवन के बारे में जरूर जान लें.