पतझड़ के साथ बहार भी आती है
मौसम से भी सीखा जा सकता है. यह भी हमारी जिन्दगी की ही तरह बदलती रहती है. फरवरी को ही लें, जिन्दगी में जैसे पतझड़ और बहार दोनों की मौजूदगी होती है वैसे ही इस महीने में भी है. यह एकाएक उदास कर जाती है और फिर एकाएक हमारे मन में खुशियाँ भर देती है. इस महीने में जहाँ एक और प्रकृति सबसे अधिक पुष्पित होती है वहीं पेड़ों से झड़ते पत्ते इसे क्षरण का महीना भी बनाते हैं. फूलों को देख कर अगर कामनाएं जन्म लेती हैं तो झड़ते पत्ते यह भी सिखाते हैं कि इन कामनाओं को एक एक कर बदन से उतारना भी जरूरी है.
इस मौसम में फूल हर जगह खिलते हैं. खेत में, मैदानों में, पहाड़ों पर, झरने की उन जगहों पर भी जहाँ हमारे हाथ नहीं पहुँच पाते हैं. ये बताते हैं कि गम्य हो या अगम्य ख़ूबसूरती हर जगह है. जरूरत बस उसे महसूस करने की है. प्रकृति के साथ जुड़े रहें खुशियाँ अपने आप ही आपके दिल पर दस्तक देती रहेंगी.
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