अब अकेलेपन की समस्या दूर करेगा मंत्रालय
ब्रिटेन की सरकार में अब एक नया मंत्रालय जुड़ गया है जिसका काम लोगों के अकेलेपन की समस्या को दूर करना है. अपनी तरह का यह एक अनोखा प्रयोग होगा जो युवाओं में तेजी से गहराती इस समस्या को अपने तरीके से सुलझाएगा. लेकिन इस तरह के किसी मंत्रालय की जरूरत ही क्यों पडी? वो भी आज के दौर में जब हमारे पास हर वो तकनीक मौजूद है जो हमें सारी दुनिया से जोड़े रखती है. अपनों के पास न होते हुए भी हम उनके पास हैं. सोशल मीडिया के जरिये हम चौबीसों घंटे हजारों लाखों लोगों के संपर्क में हैं. इसके बावजूद आज के दौर में हर दूसरा इंसान आपको इस अकेलेपन की समस्या से ग्रस्त मिल जाएगा. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. संयुक्त अरब अमीरात और भारत समेत अनेक देश पहले ही अपने देश में ‘ख़ुशी का मंत्रालय’ बना चुके हैं.
ब्रिटेन के कम से कम 9 लाख लोगों ने स्वीकार किया है कि अक्सर या हमेशा अकेलापन महसूस करते हैं. विभिन्न देश की सरकारों के इस अनोखे प्रयोग की भी शायद यही वजह रही होगी. विभिन्न शोधों से भी पता चलता है कि लम्बे समय तक अकेलेपन की समस्या बने रहने का इंसान के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. यह लोगों में वायरल इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. यह आपकी जीवन प्रत्याशा को भी 26% तक कम कर देता है. हाल के दिनों में विकसित देशों में आत्महत्या के मामले भी तेजी से बढे हैं. दुखद पहलू यह है कि इनमें सबसे बड़ी तादाद युवाओं की है. वास्तव में हमने इस नयी जेनेरेशन को तकनीक से सुसज्जित एक आरामदायक जिन्दगी तो दे दी लेकिन उन्हें बड़े बुजुर्गों का प्यार साथ और अपनापन नहीं दे पाए. मोबाइल, इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसी चीजें उन्हें एक साथ लाखों लोगों के संपर्क में तो ले आती हैं लेकिन उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता तो जो उनकी भावनाओं को समझ सके या उनकी समस्याओं को धैर्य के साथ सुन सके. जैसे जैसे विकास की यह आंधी और आगे बढ़ेगी जाहिर है यह समस्या भी और गहरी होती चली जायेगी. ऐसे में जरूरत युवाओं को वापस अपने परिवार की तरफ लौटने की है. मंत्रालय जैसी चीजें समस्या के समाधान के लिए सुझाव दे सकती हैं उसे दूर कर पाना उनके लिए असंभव तो नहीं लेकिन बेहद चुनौतीपूर्ण जरूर है.