जोखिमों में रोमांच तलाशती इरानी महिलायें

Spread the love

आइस क्लाइम्बिंग जोखिम से भरा खेल है. बेहद सख्त बर्फ में कुदाल गड़ाना और फिर नुकीले जूतों के सहारे पैर जमाना आसान नहीं होता. कमजोर या टूटी बर्फ पर कुदाल गड़ाने पर हादसे भी होते हैं. दुनिया भर में ऐसी कई जगहें हैं जहां आइस क्लाइम्बिंग बेहद लोकप्रिय है. ऐसी जगहों पर इमरजेंसी सेवाओं की आसान पहुंच भी जरूरी होती है क्योंकि हादसा कभी भी हो सकता है.

खड़े ग्लेशियरों की चढ़ाई सबसे मुश्किल होती है. इसके लिए खास ट्रेनिंग, उपकरण और अनुभव की जरूरत होती है. लेकिन हाल के समय में ईरानी महिलाओं में आइस क्लाइम्बिंग काफी लोकप्रिय हुई है. बर्फ के तीखे कोने नायलॉन की रस्सी को काट सकते हैं इसीलिए ग्लेशियर क्लाइम्बिंग के लिए खास किस्म की रस्सियां और कई किस्म के हुकों की जरूरत पड़ती हैं. जमे हुए झरनों में बेहद खड़ी चढ़ाई होती है. 10 मीटर ऊंचे झरने को भी एक बार में सीधे पार करना मुश्किल होता है. इसके लिए क्रैम्पॉन्स और आइसब्रेकरों की मदद से बर्फ में छेद किया जाता है. इस दौरान बर्फ टूटकर गिरनी नहीं चाहिए. क्लाइम्बरों को बीच बीच में ब्रेक लेकर सही रूट खोजना पड़ता है. क्लाइम्बरों को अलग अलग रूट चुनने पड़ते हैं. एक समय में एक रूट पर अकेला क्लाइम्बर चढ़ता है. ज्यादा भार से बर्फ टूट सकती है.
अच्छे उपकरण और अनुभव के साथ साथ बांहों और जांघों में ताकत होनी भी जरूरी है. बांहों की ताकत के सहारे क्लाइम्बर खुद को ऊपर खींचते हैं वहीं मजबूत जांघें उन्हें स्थिरता देती हैं.

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
READ  होगी आईपीएल की अनलिमिटेड मुफ्त स्ट्रीमिंग, जानिये कैसे
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange