व्यक्ति विशेष: अपने बेबाक अंदाज से पूरी दुनिया में मशहूर हुए लालू
बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले से जुड़े एक मुकदमे में रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत शनिवार (23 दिसंबर) को फैसला सुनाया। जगन्नाथ मिश्रा, ध्रुव भगत, विद्या सागर बरी कर दिए गए हैं। प्रमुख आरोपी व घोटाले के समय बिहार के सीएम रहे लालू प्रसाद यादव, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. के के प्रसाद तथा शेष अन्य चारा आपूर्तिकर्ताओं को दोषी ठहराया गया है। सभी दोषियों को 3 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। तब तक के लिए सभी को जेल भेजने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सजा के ऐलान तक दोषी जेल में ही रहेंगे। देवघर कोषागार से अवैध ढंग से पैसा निकालने के मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र एवं कई अन्य राजनेताओं तथा आईएएस अधिकारियों समेत 22 आरोपी रांची में सीबीआई की विशेष अदालत में शनिवार सुबह पेश हुए थे।
एक नजर लालू के जीवन पर
लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 बिहार के गोपालगंज में में फुलवरिया गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कुंदन राय तथा माता का नाम मराछिया देवी है। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोपालगंज से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गए। पटना के बीएन कॉलेज से इन्होंने लॉ में स्नातक तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वे कॉलेज के समय से ही छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे। यहीं से उन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में प्रवेश किया। 1 जून 1973 को उनका विवाह राबड़ी देवी से हो गया। इन दोनों के दो बेटे और सात बेटियां हैं।
राजनीतिक जीवन
लालू यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव पहली बार 29 साल की उम्र में जीतकर लोकसभा पहुँचे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। 1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे। लालू प्रसाद यादव के जनाधार में एमवाई यानी मुस्लिम और यादव फैक्टर का बड़ा योगदान है और उन्होंने इससे कभी इन्कार नहीं किया है।
लालू प्रसाद यादव मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर लेखों के अलावा विभिन्न आन्दोलनकारियों की जीवनियाँ पढ़ने का शौक रखते हैं। वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। लालू यादव ने एक फिल्म में भी काम किया है जिसका नाम उनके नाम पर ही है।
जुलाई, 1997 में लालू प्रसाद यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी बना ली। गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बनाने का फैसला किया। जब राबड़ी के विश्वास मत हासिल करने में समस्या आयी तो कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उनको समर्थन दिया।1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। दो साल बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। सात दिनों के लिये नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फ़िर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मन्त्री बने।
रेल मंत्री का सफ़र
2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव एक बार फिर “किंग मेकर” की भूमिका में आये और रेलमन्त्री बने। यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई। भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया। भारतीय रेल घाटे से निकल कर मुनाफे की ओर लौट आई। रेलवे की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के कारण कई मैनेजमेंट स्कूलों ने लालू प्रसाद के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए उन्हें हार्वर्ड, व्हार्टन और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के सैकड़ों विद्यार्थियों को सम्बोधत करने के लिए आमंत्रित किया। रेलवे के इस उपलब्धि का अवलोकन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, अहमदाबाद के विद्यार्थियो द्वारा भी किया गया।
लेकिन अगले ही साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सरकार हार गई और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। समय-समय पर लालू को बचाने वाली कांग्रेस भी इस बार उन्हें नहीं बचा नहीं पायी। दागी जन प्रतिनिधियों को बचाने वाला अध्यादेश खटाई में पड़ गया और इस तरह लालू का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया।
घोटाले के आरोप
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमन्त्री पद से हटना पड़ा। अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गये और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी। चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी। लगभग सत्रह साल तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये 3 अक्टूबर 2013 को पाँच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
लालू प्रसाद यादव और जदयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके कारण राँची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव को लोक सभा की सदस्यता भी गँवानी पड़ी। भारतीय चुनाव आयोग के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद यादव अब 11 साल (5 साल जेल और रिहाई के बाद के 6 साल) तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। भारतीय उच्चतम न्यायालय ने चारा घोटाला में दोषी सांसदों को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने से बचाने वाले प्रावधान को भी निरस्त कर दिया था।
लोक सभा के महासचिव एस० बालशेखर ने यादव और शर्मा को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने की अधिसूचना जारी कर दी। लोक सभा द्वारा जारी इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गँवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद बने जबकि जनता दल यूनाइटेड के एक अन्य नेता जगदीश शर्मा दूसरे, जिन्हें 10 साल के लिये अयोग्य ठहराया गया।
इस मामले में ताजा फैसला 23 दिसंबर 2017 को आने के बाद लालू के खिलाफ फैसले पर पार्टी आरजेडी ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि उनके पास ऐसे सबूत हैं, जिनके आधार पर हाई कोर्ट से राहत मिलेगी। मनोज ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी अपने विरोधियों से डील करने की कोशिश करती है। अगर नाकाम होती है तो उन्हें इस तरह से डराती है। मनोज ने कहा, ‘हम ऐसे लोगों से कहना चाहते हैं कि आपका अंत शुरू हो चुका है।’ वहीं, जेडीयू ने कहा कि बिहार का एक राजनीतिक अध्याय खत्म हो चुका है।
लालू यादव के ट्विटर हैंडल से सिलसिलेवार ट्वीट कर बीजेपी पर हमला किया गया। इसमें कहा गया कि धूर्त भाजपा अपनी जुमलेबाजी व कारगुजारियों को छुपाने और वोट हासिल करने के लिए विपक्षियों का पब्लिक पर्सेप्शन बिगाड़ने के लिए राजनीति में अनैतिक और द्वेष की भावना से ग्रस्त गंदा खेल खेलती है। अगले ट्वीट में कहा गया कि झूठे जुमले बुनने वालों सच अपनी जिद पर खड़ा है। धर्मयुद्ध में लालू अकेला नहीं पूरा बिहार साथ खड़ा है। बहरहाल जनता इस मामले में अपने इस नेता का कितना साथ देती है ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा.