बस मोबाइल सटाकर कर सकेंगे ऑनलाइन पेमेंट, जानिए कैसे काम करता है ये सिस्टम

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जबसे ऑनलाइन बैंकिंग का जमाना आया है लोग मोबाइल से कैशलेस पेमेंट करने लगे हैं. फिलहाल इसके लिए जो सिस्टम है उसमें यूपीआई कोड स्कैन करके या फिर पेमेंट अड्रेस टाइप कर पेमेंट किया जाता है. लेकिन अब इसमें कुछ बदलाव आने वाला है. अब आप बस दो डिवाइस को आपस में सटाकर ही पेमेंट कर पाएंगे. गूगल पे ने पाइन लैब्स के साथ मिलकर भारत में एनएफसी पेमेंट सिस्टम लॉन्च किया है. इसके जरिए दो डिवाइस को आपस में सटाकर ही पेमेंट की जा सकेगी.

क्या है एनएफसी सिस्टम

एनएफसी या नियर फील्ड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी एक छोटी रेंज वाली वायरलेस कनेक्टिविटी टेक्नोलॉजी है. इसके जरिए कनेक्टेड डिवाइसेज आपस में जानकारी का तेजी से आदान-प्रदान कर सकती हैं. इससे केवल बिल पेमेंट ही नहीं बिजनेस लेन-देन और डॉक्यूमेंट शेयरिंग जैसी चीजें भी संभव है. एनएफसी टेक्नोलॉजी में दो डिवाइसेज के बीच इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो फील्ड के जरिए सूचना का आदान-प्रदान होता है. लेकिन इसके लिए दोनों ही डिवाइसेज में एनएफसी चिप का होना जरूरी है. डेटा या पेमेंट शेयर करने के लिए दोनों ही डिवाइसेज को एक दूसरे से टच करना या फिर केवल कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर होना जरूरी होगा.

गूगल पे की पहल

अब तक जितनी भी यूपीआई ऐप्लीकेशन आयी हैं उनमें से गूगल पे पहला एप्लिकेशन है, जिसने पीओएस टर्मिनल पर काम करने वाले इस ‘टैप टू पे’ विकल्प को शुरु किया है. अब जिन यूजर्स के पास एनएफसी वाला गूगल पे ऐप है, वे पाइन लैब्स के एंड्रायड पीओएस टर्मिनल डिवाइस पर एक टैप करके पेमेंट कर सकेंगे.
पीओएस टर्मिनल से सटाते ही ग्राहक के मोबाइल में गूगल पे खुल जाएगा, जिसमें पहले से ही काटी जाने वाली रकम लिखी होगी. उन्हें बस दी गयी जानकारी को जांचकर, अपना पिन डालना होगा और पेमेंट हो जाएगी. हालांकि फरवरी में एप्पल ने भी अमेरिका के आईफोन यूजर्स के लिए यह सुविधा शुरु की थी. इसमें एप्पल पे के जरिए लोग अपने आई फोन और एप्पल वॉच पर टैप टू पेमेंट कर सकते हैं.

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किन चीजों के लिए हो सकेगा इस्तेमाल

एनएफसी का प्रयोग पेमेंट और कॉन्टैक्टलेस बैंकिंग से जुड़े लेन-देन और अलग-अलग जगहों पर टिकट बुकिंग के लिए भी किया जाता है. गाड़ी चोरी से बचने और बिना इंसानों वाले टोल बूथ पर पेमेंट में भी यह टेक्नोलॉजी काम आती है. मेट्रो कार्ड रीडर जैसी चीजें भी इससे होती हैं. वायरलेस चार्जिंग में भी इसी का इस्तेमाल होता है. एनएफसी वाली डिजिटल कलाई घड़ियां मरीजों की स्वास्थ्य गतिविधियों पर बारीक नजर रख सकती हैं.

कितनी सुरक्षित है एनएफसी

एनएफसी टेक्नोलॉजी के लिए दो डिवाइसेज का संपर्क में आना जरूरी होता है. इसलिए बाकी वायरलेस टेक्नोलॉजी के मुकाबले ये ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है. हालांकि यह टेक्नोलॉजी नई नहीं है. साल 2004 में नोकिया, फिलिप्स और सोनी ने भी मिलकर एक एनएफसी फोरम बनाई थी. जिसका लक्ष्य उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए नए प्रोडक्ट बनाना था. नोकिया ने इस टेक्नोलॉजी पर आधारित अपना पहला फोन 2007 में ही लॉन्च कर दिया था.

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