कोर्ट का अनोखा फैसला, तलाक के बाद पति भी मांग सकेंगे पत्नी से गुजारा भत्ता
अक्सर आपने सुना होगा कि तलाक के बाद पति अपनी पत्नी को मेंटेनेंस देता है, लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे से मेंटेनेंस की डिमांड कर सकते हैं. इस बार हाईकोर्ट ने पति के हक में फैसला करते हुए पत्नी को आदेश दिया है कि वो अपने तलाकशुदा पति को गुजारा भत्ता दे. ये फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच की तरफ से आया है. जानिए क्या है ये पूरा मामला.
किस आधार पर पति ने मांगा मेंटेनेंस
एक कपल की शादी 17 अप्रैल 1992 को हुई थी. बाद में पत्नी ने क्रूरता को आधार बनाते हुए अपने पति से तलाक मांगा. साल 2015 में नांदेड़ की अदालत ने तलाक को मंजूरी दे दी. जिसके बाद पति ने निचली अदालत में एक याचिका लगाई और पत्नी से हर महीने 15 हजार रुपए पर्मानेंट मेंटेनेंस देने की मांग की. पति का कहना है कि उसके पास आय का कोई साधन नहीं है. इसलिए उसे पत्नी से गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. पति ने ये भी दावा किया है कि उसने अपनी पत्नी को MA और BEd तक पढ़ाई करवाई है और अब वह स्कूल टीचर है. अब पत्नी हर महीने 30 हजार रुपए कमाती है. लेकिन चूंकि पति की सेहत ठीक नहीं रहती है, इसलिए वह कोई नौकरी नहीं कर सकता है. घर का सारा सामान और प्रॉपर्टी भी पत्नी के पास है. ऐसे में उसे गुजारा भत्ता मिलना चाहिए.
पत्नी की दलील नहीं आयी काम
अपने पति के दावे को खारिज करते हुए पत्नी ने कहा कि उसका पति एक किराने की दुकान चला रहा है. इसके अलावा वह एक ऑटो रिक्शा का मालिक भी है. जिसे वो किराए पर देकर पैसे कमाता है. उन दोनों की एक बेटी है, जो खर्च के लिए मां पर निर्भर है. लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों की इनकम और प्रॉपर्टी को देखते हुए पत्नी को आदेश दिया कि वो अपने पति को हर महीने 3 हजार रुपए मेंटेनेंस दे.
कब दे सकते हैं मेंटेनेंस की अर्जी
अगर पति और पत्नी के रिश्ते खराब हो गए हैं और दोनों एक-दूसरे के साथ कानूनी तौर पर नहीं रहते हैं तो पति या पत्नी, दोनों में से कोई भी मेंटेनेंस की अर्जी कोर्ट में लगा सकता है. लेकिन इसकी भी कुछ शर्तें होती हैं. मेंटेनेंस केवल शारीरिक या मानसिक तौर से कमजोर पति जो पैसे कमाने के लायक नहीं है, तलाकशुदा पत्नी, बुजुर्ग माता-पिता, अविवाहित या विधवा बहन को दिया जा सकता है. पति अगर पत्नी से मेंटेनेंस लेने की अर्जी दे तो उसे कोर्ट में साबित करना होगा कि वो शारीरिक या मानसिक तौर पर कमाने के लायक नहीं है और उसकी पत्नी पैसे कमाती है.
कौन उठाएगा बच्चों का खर्च
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-25 के तहत तलाक के वक्त एक साथ या फिर महीने के हिसाब से मेंटेनेंस तय किया जाता है. मान लीजिए अगर पति का वेतन 20 हजार है और पत्नी का 50 हजार. तो पूरे परिवार की इनकम 70 हजार मानी जाएगी. दोनों पार्टनर का अधिकार 35-35 हजार पर होगा. कोर्ट इस तरह से इनकम को ध्यान में रखकर फैसला सुनाता है. साथ ही ये भी देखता है कि बच्चे किसके साथ रहते हैं. उनके कितने खर्च हैं. उस आधार पर भी खर्चा तय होता है. पत्नी अगर नौकरी करती है तो पति के पास नौकरी न होने की स्थिति पर बच्चों की देखरेख का खर्च भी पत्नी के पास होता है.