पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच ग्रीन हाइड्रोजन बना विकल्प, जानिए कैसे होगा उत्पादन
पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम को देखते हुए अब लोगों का ध्यान गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की तरफ जा रहा है. जब गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों (Non-Conventional Energy Sources) की बात होती है, तो ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) सबसे बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आता है. परिवहन उद्योग, ऊर्जा भंडारण और औद्योगिक क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन का बड़े स्तर पर उपयोग किया जा सकता है. ऊर्जा की इस जरूरत को समझते हुए अब तीन दिग्गज कंपनियां इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Indian Oil), लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और रिन्यू पावर (ReNew) एक साथ आगे आई हैं. इन तीनों कंपनियों ने एक जॉइंट वेंचर (JV) कंपनी बनाने के लिए आपस में समझौता किया है. यह कंपनी भारत में ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर विकसित करने का काम करेगी.
In a transformational move, @IndianOilcl has partnered with @larsentoubro & @ReNew_Power for a Green Hydrogen alliance that aims to develop green hydrogen assets in India. This will catalyse India's decarbonization endeavors while fueling the aspirations of an #AatmanirbharBharat pic.twitter.com/p0TP5u4j0m
— Indian Oil Corp Ltd (@IndianOilcl) April 4, 2022
किसका होगा क्या काम
इस जॉइंट वेंचर में तीनों कंपनियों की विशेषज्ञता शामिल होगी. एलएंडटी ईपीसी परियोजनाओं को डिजाइन करने, क्रियान्वित करने और वितरित करने में एक मजबूत साख रखती है. इंडियन ऑयल की बात करें, तो यह पेट्रोलियम रिफाइनिंग में विशेषज्ञता के साथ ही सभी ऊर्जा स्रोतों में अपनी उपस्थिति रखता है. वहीं, रिन्यू बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा समाधान विकसित करने और उसकी पेशकश करने के लिए जानी जाती है. इसके अलावा, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रोलाइजर्स को बनाने और बेचने के लिए इंडियन ऑयल और एलएंडटी ने एक जॉइंट वेंचर पर समझौता किया है.
यह जॉइंट वेंचर ऐसे समय में बना है जब हाल ही में भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी को सपोर्ट करने की घोषणा की है. केंद्र सरकार ने फरवरी में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी अधिसूचित की थी.
कैसे बनती है ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजन एक जीरो कार्बन ईंधन होती है, जो अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बनाई जाती है. इसे बनाने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के जरिए पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग-अलग किया जाता है. ये अलग बात है कि इस काम के लिए कोयले और प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है, जो काफी प्रदूषण फैलाते हैं. लेकिन अगर हाइड्रोजन के उत्पादन में अक्षय ऊर्जा का उपयोग हो और इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं हो, तो यह ग्रीन हाइड्रोजन कहलाती है.