चीन ने किया सबसे एडवांस्ड क्वांटम तकनीक हासिल करने का दावा
चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अब तक का सबसे एडवांस्ड क्वांटम कम्प्यूटर प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है. चीन के मुताबिक उन्होंने अगली पीढ़ी की ऐसी सुपर-एडवांस्ड क्वांटम तकनीक विकसित कर ली है जो मिनटों के भीतर बड़े से बड़े डेटा समूह की गणना करने में सक्षम है. जबकि इसी काम को करने में दुनिया के तीसरे सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर को लगभग 2 अरब (2 बिलियन) साल लग सकते हैं.
फोटॉन आधारित है तकनीक
चीनी प्रोटोटाइप फोटॉन-आधारित तकनीक पर काम करता है. चीनी शोधकर्ताओं का अनुमान है कि उनका बनाया यह क्वांटम कम्प्यूटर दुनिया के सबसे एडवांस्ड सुपर कम्प्यूटर की तुलना में भी लगभग 100 खरब (100 ट्रिलियन) गुना तेज है. साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में चीन के वैज्ञानिकों ने 2019 में पहली बार सामने आई गूगल की ‘क्वांटम सुप्रीमेसी’ तकनीक को भी चुनौती दी गई है.
इसलिए ‘क्वांटम वर्चस्व’ का दावा
दरअसल, क्वांटम सुप्रीमेसी में किसी काम को पूरा करने के लिए क्वांटम मशीन की सुपर-स्पीड की क्षमता द्वारा आंका जाता है. क्योंकि एक सामान्य कम्प्यूटर के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होता. चीनी वैज्ञानिकों के दावे का आधार उनके बनाए क्वांटम कम्प्यूटर प्रोटोटाइप द्वारा ‘गॉसियन बोसोन सैंपलिंग’ नाम की एक स्टैंडर्ड सिमुलेशन एल्गोरिद्म का उपयोग करके 76 फोटॉन (76 Photons) तक का पता लगा सकता है. जबकि गूगल क्वांटम टीम ने पहली बार अपने ‘साइकैमोर’ क्वांटम कम्प्यूटर का उपयोग कर बीते साल ऐसा करने में सफलता पाई थी. हालांकि, चीन का बनाया प्रोटोटाइप आसानी से अपने फोटॉन-आधारित कम्प्यूटिंग क्षमता के जरिए गूगल के ‘साइकैमोर’ (Sycamore) को पछाड़ सकता है. चीन के प्रोटोटाइप की कार्य क्षमता को उतने ही समयावधि में कर पाना आज के सुपरकम्प्यूटर्स के भी बस की बात नहीं है. शोध में यह भी कहा गया है कि प्रोटोटाइप के हार्डवेयर या एल्गोरिद्म में अपडेशन या किसी भी तरह की तकनीकी सुधार के बाद भी इस गणना में अंतर आने की संभावना नहीं है.
चीन भी शामिल हुआ क्वांटम रेस में
इस सफलता के साथ अब चीन भी अमरीका, ब्रिटेन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ क्वांटम टेक्नोलॉजी हासिल करने की दौड़ में शामिल हो गया है. गौरतलब है कि आइबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी बड़ी दिग्गज आइटी कंपनियां इस तकनीक को विकसित करने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कम्प्यूटर प्रोसेसिंग की गति में सुधार के नजरिए से यह तकनीक क्रांति ला सकती है. बड़े सिस्टम के अनुकरण के अलावा, यह रसायन विज्ञान, भौतिकी और अन्य क्षेत्रों में ऐसे बदलाव लाएगी जो भविष्य की तस्वीर बदल कर रख देगा.