जानिए क्यों हमारा वायुमंडल लगातार घंटी की आवाज़ पैदा कर रहा है

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जिस तरह चंद्रमा के गुरुत्व से पृथ्वी के महासागरों पर असर होता है और वहां ज्वारभाटा की लहरें आती हैं. इसी तरह की तरंगें हमारे वायुमंडल में भी पैदा होती हैं. एक अध्ययन से पता चला है कि कैसे ये वायुमंडलीय तरंगे पूरी पृथ्वी पर प्रतिध्वनि सा प्रभाव दे रही हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे की घंटी की आवाज हवा में प्रभाव देती है.

इससे पहले हुए अध्ययनों में अब तक वायुमंडलीय दाब के स्थानीय स्तर पर और सीमित समय के लिए अध्ययन किया गया था. इनमें एक हजार से दस हजार किलोमीटर की वायुमंडलीय तरंगों के बारे में पता चला था जिनकी आवृति कुछ ही घंटों की होती थी. लेकिन इस बार शोधकर्ताओं ने व्यापक प्रभाव पर शोध किया है. यह अध्ययन एटमॉस्फियरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

हाल ही में नए आंकड़े उपलब्ध हुए जिससे वैश्विक स्तर पर इनका अध्ययन संभव हो सका. ये आंकड़े यूरोपीय सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट की ओर से जारी किए गए थे. इससे यह पता चलता है कि पृथ्वी का पूरा वायुमंडल एक तालमेल के साथ कंपन कर रहा है.

हालांकि यह कंपन ऐसा नहीं है जिसे हम सुन सकें. इसके बजाए यह बड़ी मात्रा में वायुमंडलीय दाब की तरंगों के रूप में देखा जा रहा है. ये तरंगे भूमध्य रेखा के पास पूरी पृथ्वी पर जा रही हैं. इनमें से कुछ तरंगें पूर्व से पश्चिम तो कुछ पश्चिम से पूर्व की ओर जा रही हैं. हर तरंग एक तरह की प्रतिध्वनित कंपन के रूप में पृथ्वी के वायुमंडल में फैल रही है. यह कंपन काफी कुछ घंटियों की आवाज़ जैसा है.

38 साल के आंकड़े

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पिछले 38 साल के हर घंटे में पूरी पृथ्वी पर वायुमंडलीय दाब का विश्लेषण किया है. इस अध्ययन के नतीजों से पता है कि पृथ्वी के वायुमंडल में इस तरह की दर्जनों तरंगें मौजूद है.

वैज्ञानिकों ने खास तौर पर दूसरे और 33वें घंटे के समय की तरंगों पर ध्यान दिया जो हमारे वायुमंडल पर क्षैतिज (Horizontally) यात्रा कर रही हैं. इस दौरान यह पूरी दुनिया में 700 मील प्रति घंटा की गति से चलती हैं. इस तरह से ये एक चैकरबोर्ड का पैटर्न बना रही हैं

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