क्या है प्रोजेक्ट प्लैटिना, जिससे महाराष्ट्र में होगा कोरोना संक्रमितों का इलाज

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कोरोना संक्रमितों को स्वस्थ्य करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना के हल्के और गंभीर लक्षण वाले मरीजों को प्लाजमा थेरेपी से इलाज करने का फैसला किया है. दुनियाभर में प्लाजमा थेरेपी से सिर्फ कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों का इलाज हो रहा है. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस थेरेपी से गंभीर मरीजों का इलाज करना भी शुरू कर दिया है.

डॉक्टरों का कहना है कि रोगियों को इससे लाभ मिल रहा है, और अब उसी को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े “प्लाज्मा थेरेपी परीक्षण केंद्र” यानी प्रोजेक्ट प्लैटिना की शुरुआत की गयी है. इस तरह प्लाज्मा थेरेपी के साथ बड़े पैमाने पर प्रयोग करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है. महाराष्ट्र ने 23 मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा थेरेपी की सुविधा उपलब्ध कराई है, जिसमें प्लाज्मा डोनेशन, प्लाज्मा बैंक, प्लाज्मा ट्रायल और इमरजेंसी ऑथराइजेशन जैसी प्रक्रियाओं को तेज करने के सर्विस सेण्टर हैं. केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को इसका ऑनलाइन उद्घाटन कर दिया.

कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी
जो रोगी ठीक हुए हैं उन्हें 10 दिनों से 28 दिनों के भीतर रक्त दान करना चाहिए. जिसके बाद डॉक्टर उनके रक्त में से प्लाज्मा को अलग कर लेते हैं. दरअसल कोरोना से जंग जीत चुके मरीज के शरीर में वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी काफी मात्रा में बन जाते हैं. जो दूसरे मरीज के इलाज में कारगर साबित हो सकते हैं.

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