कौन हैं वे देश जिन्होंने बिना लॉकडाउन के जीती कोरोना से जंग
कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए दुनिया के ज्यादातर देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन का सहारा लिया है. भारत, चीन, स्पेन और इटली ने सबसे सख्त लॉकडाउन के नियमों को लागू किया, वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने बिना लॉकडाउन के भी संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाने में सफलता हासिल की.
ताइवान –
ताइवान ने चीन के पास होते हुए भी बिना लॉकडाउन के स्थिति को संभालने में कामयाबी पाई. बड़े पैमाने पर टेस्टिंग और लोगों की निगरानी कर उसने ऐसा करने में सफलता पाई. लोगों ने क्वारेंटाइन के नियमों का पूरी तरह से पालन किया. यहां लोगों के मोबाइल जीपीएस का इस्तेमाल कर उनपर निगरानी रखी गई. यहां अब तक सिर्फ 400 मामले और 6 मौतें दर्ज की गई हैं.
दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया शुरुआती चरण में कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, लेकिन फिर उसने बिना लॉकडाउन के स्थिति को काबू में कर लिया. दक्षिण कोरिया ने बड़े पैमाने पर टेस्टिंग, संक्रमितों के सपंर्कों को खोजने और लोगों को आइसोलेशन में डालने की रणनीति पर काम किया. इन्होंने आधुनिक तकनीकों की मदद से न सिर्फ मरीजों के संपर्कों की पहचान की बल्कि लोगों को भी आगह किया. यहां लोगों ने आइसोलेशन का पूरा पालन किया. इस देश में पिछले 10 हफ्तों से एक भी नया स्थानीय मामला नहीं आया है.
तुर्कमेनिस्तान
तुर्कमेनिस्तान में अब तक कोरोनावायरस का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. यहां राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाया गया है, लेकिन अन्य नियमों का काफी सख्ती से पालन हो रहा है. यहां हर शहर के बाहर चेकप्वाइंट बने हैं जहां बिना जांच के किसी को आगे जाने नहीं दिया जाता. हालांकि, कोरोनावायरस के मामले न होने की बात से डब्ल्यूएचओ सहमत नहीं है, लेकिन यहां की सरकार का कहना है कि वह कुछ नहीं छुपा रही. देश में मीडिया को कोरोनावायरस शब्द का प्रयोग करने से भी मना कर दिया गया है.
ताजाकिस्तान-
ताजाकिस्तान में अब तक कोरोनावायरस के 15 मामले दर्ज किए गए हैं. यहां लॉकडाउन तो नहीं लगाया गया है, लेकिन यहां स्कूल बंद हैं. सारे खेलों को रद्द कर दिया गया है. इसके अलावा हर तरह के भीड़भाड़ वाले आयोजनों पर रोक लगा दी गई है. यहां मास्क लगाने को अनिवार्य कर दिया गया है. हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से देश की सरकार कोरोनावायरस के मामले होने से इनकार करती आई है.
ये देश ले रहे आंशिक बंदी का सहारा-
कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने पूर्ण लॉकडाउन की जगह आंशिक बंदी का सहारा लिया है. इनमें जापान, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश मौजूद हैं. सिंगापुर ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक लॉकडाउन जैसे कदम नहीं उठाए. लेकिन, फिर मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आंशिक लॉकडाउन लगाया गया. स्कूलों को बंद कर दिया गया और लोगों को घर से काम करने को कहा गया. यहां अब तक 17 हजार मामले सामने आए हैं और सिर्फ 16 लोगों की मौत हुई है. इंडोनेशिया में भी पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाया गया. जिन जगहों पर ज्यादा मामले पाए गए हैं, वहीं पर आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है. यहां 10 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 800 लोगों की मौत हुई है. वहीं, जापान में भी राष्ट्रव्यापी स्तर पर आपातकाल की घोषणा की गई है और लोगों से घरों में रहने का आग्रह किया गया है, लेकिन लॉकडाउन जैसे कड़े नियम नहीं लगाए गए हैं. यहां अब तक 14 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं और 481 लोगों की मौत हुई है.
दुनियाभर में कई देश अब धीरे-धीरे लॉकडाउन हटाने की शुरुआत कर रहे हैं. जल्दीबाजी में लॉकडाउन हटाने से कोविड-19 संक्रमण के दूसरे दौर की शुरुआत हो सकती है. उद्योगों को खोलने की कवायद चरणबद्ध तरीके से की जानी चाहिए. वहीं, लॉकडाउन को खोलने से पहले टेस्टिंग, अस्पताल की सुविधाओं और संपर्कों को खोजने की मजबूत रणनीति बना लेनी चाहिए. आर्थिक फायदे के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ सही नहीं है.
डब्ल्यूएचओ ने बताया लॉकडाउन खोलने का तरीका-
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लॉकडाउन के प्रतिबंधों को हटाने से पहले देशों को इन छह बातों पर ध्यान देने को कहा है. सबसे पहले बीमारी के फैलने की रफ्तार को नियंत्रित करना होगा. इसके बाद स्वास्थ्य सुविधाओं को इतना सक्षम बनाना होगा कि वे मरीजों की पहचान, टेस्टिंग, आइसोलेशन और हर मरीज के संपर्कों की तेजी से जांच कर सकें. अतिसंवेदनशील जगहों जैसे अस्पताल और नर्सिंग होम में वायरस के फैलने के खतरे को न्यूनतम स्तर पर लाना पड़ेगा. स्कूल, कार्यस्थलों और अन्य आवश्यक स्थानों तक सुरक्षात्मक उपायों का पूरी तरह से पालन करना होगा. बाहर से आने वाले नए मामलों की जांच करने की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. सभी समुदायों को नई जीवनशैली में ढलने के लिए शिक्षित और जागरूक करने की जरूरत है.