कौन हैं अयोध्या मामले में फैसला देने वाले पांचों जज, कई अहम फैसलों में रहे हैं शामिल

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सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुना चुकी है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने 40 दिनों में इस मामले की सुनवाई पूरी की. आइए जानते हैं कि ऐतिहासिक फैसला देने वाले ये जज कौन हैं.

1. जस्टिस रंजन गोगोई
सीजेआई रंजन गोगोई असम के रहने वाले हैं. सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले वह गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज रह चुके हैं. वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. वह अगले हफ्ते 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में आज का फैसला ऐतिहासिक होगा. वह कई अहम फैसले दे चुके हैं. इनमें असम में एनआरसी लागू करने का आदेश, सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीरें छापने पर रोक, पवित्र धार्मिक पुस्तकों जैसे रामायण के नाम पर सेवा या सामान के ट्रेडमार्क का दावा न किए जाने जैसे बहुचर्चित फैसले शामिल हैं.

2. जस्टिस एस ए बोबडे
जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने वाले हैं. वह बॉम्बे हाई कोर्ट और एमपी हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं. वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी थे. जस्टिस शरद अरविंद बोबडे चीफ जस्टिस के बाद इस समय SC के वरिष्ठतम जज हैं. गोगोई के रिटायर होने के बाद वह 18 नवंबर को देश के नए चीफ जस्टिस बनेंगे. उन्होंने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने, प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक जैसे बड़े मामलों में फैसले दिए हैं.

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3. जस्टिस अशोक भूषण
यूपी के जौनपुर के रहने वाले जस्टिस अशोक भूषण सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे. जस्टिस भूषण के बड़े फैसलों पर गौर करें तो इनमें इच्छामृत्यु का अधिकार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों पर दिया फैसला शामिल है. वह आधार कानून की संवैधानिकता परखने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में भी रहे. अयोध्या पर इस्माइल फारूकी केस में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मानने वाली टिप्पणी पर दाखिल पुनर्विचार की मांग को खारिज करने का फैसला भी उन्होंने दिया था.

4. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बॉम्बे हाई कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले जस्टिस चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे. वह केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को असंवैधानिक ठहराने, निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने, दो बालिगों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आईपीसी की धारा 497 को समानता के हक का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक घोषित करने और इच्छामृत्यु के अधिकार जैसे फैसले दे चुके हैं.

5. जस्टिस एस अब्दुल नजीर
जस्टिस नजीर कर्नाटक हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं. उनके बहुचर्चित फैसलों में तीन तलाक के मामले में अल्पमत का फैसला था. उन्होंने तत्काल तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित नहीं किया था, जबकि पांच सदस्यीय संविधान पीठ के तीन जजों ने बहुमत से फैसला देते हुए तत्काल तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था.

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