स्वतंत्रता दिवस विशेष: आजादी के जश्न में क्यों नहीं शामिल हुए थे बापू
भारत को आजादी दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहम भूमिका रही थी. लेकिन जब भारत को आजादी मिली थी तो महात्मा गांधी इस जश्न में नहीं थे. तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जानिये ऐसे ही कुछ दिलचस्प किस्से –
15 अगस्त 1947, को जब भारत को आजादी मिली थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हो सके थे, क्योंकि तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे.
14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ दिया था. इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था लेकिन महात्मा गांधी ने इसे नहीं सुना क्योंकि उस दिन वे जल्दी सोने चले गए थे.
हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था. लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.
15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था. इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ जोकि भारत और पाकिस्तान की सीमाअओं को निर्धारित करती थी.
भारत 15 अगस्त को आजाद जरूर हो गया लेकिन उस समय उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था. हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर ‘जन-गण-मन’ 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया.
15 अगस्त की तारीख हो ही दक्षिण कोरिया, बहरीन और कांगो देश का भी स्वतंत्रता दिवस होता है. हांलाकि ये देश अलग-अलग वर्ष क्रमश: 1945, 1971 और 1960 को आजाद हुए थे.
यह लार्ड माउंटबेटन ही थे जिन्होंने निजी तौर पर भारत की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन तय किया क्योंकि इस दिन को वह अपने कार्यकाल के लिए बेहद सौभाग्यशाली मानते थे.
15 अगस्त को भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस होता है. दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ. ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आजाद हुआ था.
15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया. दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया.
15 अगस्त 1947 को, 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर था और सोने का भाव 88 रुपए 62 पैसे प्रति 10 ग्राम था.