धरती को ठंढा करने के लिए आकाश में बिखेरी जायेगी धूल
सालों पहले यूरोप में ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से फ़ैली राख की वजह से वहां आंशिक रूप से हिम युग शुरू हुआ था जिस वजह से वहां लम्बे समय तक गर्मी का मौसम आया ही नहीं था. ज्वालामुखी विस्फोट की इन घटनाओं को उदाहरण बनाकर अब वैज्ञानिक कुछ ऐसा ही पृथ्वी के तापमान को कम करने के लिए करना चाहते हैं.
यह योजना किसी साइंस फिक्शन जैसी लगती है, लेकिन अगले दस सालों में यह हकीकत बन सकती है. इस योजना के तहत हर दिन 800 से अधिक बड़े हवाई जहाज लाखों टन चॉक मिट्टी को पृथ्वी से 19 किलोमीटर ऊपर ले जाकर स्ट्रेटोस्फीयर में छिड़क देंगे.
इस धूल की वजह से पृथ्वी के स्ट्रेटोस्फीयर में एक धूल का आवरण बन जाएगा और बड़ी मात्रा में सूर्य की किरणें और गर्मी वापस अंतरिक्ष में चली जाएगी. यह प्रयोग पृथ्वी को गर्म होने से काफी हद तक बचा सकता है. यह किसी गार्डन शेड बनाने वाले की योजना नहीं है, बल्कि इस प्रोजेक्ट पर माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.
प्रयोग को लेकर अभी निश्चित नहीं हैं वैज्ञानिक
इस योजना के प्रारंभिक परीक्षण पर करीब 21 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसके तहत न्यू मेक्सिको रेगिस्तान के 19 किलोमीटर ऊपर जाकर एक साइंटिफिक बैलून करीब दो किलो चूना बिखेरेगा. इससे आकाश में ट्यूब के आकार का करीब पौन किलोमीटर लंबा और 100 मीटर व्यास का क्षेत्र बन जाएगा. इस गुब्बारे पर लगे सेंसर इसके बाद इस धूल की वजह से सूर्य की किरणों के परावर्तित होने की दर और इसके आसपास की हवा पर प्रभाव का विश्लेषण करेंगे.
हालांकि, यह प्रयोग अभी इस डर से रोका हुआ है कि कहीं इसकी वजह से गंभीर चेन रिएक्शन न शुरू हो जाए और इससे गंभीर सूखे और तूफान के हालात न बन जाएं. एक डर यह भी है कि कहीं स्ट्रेटोस्फीयर में धूल छिड़कने से ओजोन परत को नुकसान तो नहीं होगा.
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