अर्थ डे 2019: धरती के अन्दर इस जगह पर छुपा है टनों सोना
हमारी पृथ्वी रहस्यों से भरी पड़ी है। सूरज की सतह का तापमान इस धरती के भीतर भी मौजूद है। दुनिया में लोगों के पास जितना सोना है, उससे 99 गुना अधिक सोना पृथ्वी की अंदर की परत में मौजूद हो सकता है?
* अभी तक जो सोना उपलब्ध है, उसका 99 फीसदी हिस्सा पृथ्वी की सबसे अंदर की परत में मौजूद है। इसे आप तो निकालना भी चाहेंगे, लेकिन धरती की सबसे भीतरी परत पर सूरज की सतह के बराबर गर्मी है। इस भीषण गर्मी के कारण सोने का बड़ा हिस्सा निकाला नहीं जा सकता है।
अभी तक जो सोना उपलब्ध है, उसका 99 फीसदी हिस्सा पृथ्वी की सबसे अंदर की परत में मौजूद है। इसे आप तो निकालना भी चाहेंगे, लेकिन धरती की सबसे भीतरी परत पर सूरज की सतह के बराबर गर्मी है। इस भीषण गर्मी के कारण सोने का बड़ा हिस्सा निकाला नहीं जा सकता है।
पृथ्वी के सबसे अंदर की परत का तापमान 9900 डिग्री फैरनहाइट है। इसका अर्थ यह है कि जितनी सूर्य के सतह का तापमान है, उतना ही धरती के अंदर तापमान है।
अथाह पानी के बीच कभी नीचे से आग के भड़कने की कल्पना हम लोग नहीं करते, लेकिन यह भी सच है कि धरती पर फूटने वाले ज्वालामुखियों में सबसे अधिक महासागरों और समुद्रों में होते हैं। 90 फीसदी ज्वालामुखी की घटनाएं महासागरों में होती हैं।
इस धरती का 1/5000वां हिस्सा ऊंचे पहाड़ों से घिरा है, जबकि पृथ्वी का सबसे सबसे अधिक हिस्सा समुद्रों से ढंका है।
यदि मनुष्य को खुले अंतरिक्ष में बिना सुरक्षा उपायों के लिए छोड़ दिया जाए तो वह महज दो मिनट ही जिंदा रह सकता है।
धरती की सतह का 99 फीसदी हिस्सा पानी से ढंका है। सिर्फ एक फीसदी हिस्से में ही शेष दुनिया रहती है।
शायद आप यह भी नहीं सोचा होगा कि अंटार्कटिका में किसी महासागर के पानी से अधिक बर्फ हो सकती है। जी हां, अटलांटिक सागर का पानी अंटार्कटिका की बर्फ के मुकाबले कम है। अगर ये बर्फ पूरी पिघल जाए तो पृथ्वी पर भारी तबाही का मंजर होगा।
शायद आपको पता नहीं होगा कि पृथ्वी को हर दिन आकाशीय बिजली के कितने हमले झेलने पड़ते हैं। पृथ्वी पर प्रतिदिन आकाशीय बिजली के 86 लाख हमले होते हैं।
यह आश्चर्यजनक प्रतीत होता है कि ओजोन परत में 2012 में पिछले 10 सालों से कम छेद दिखाई दिए। यह अपने आपमें हैरतअंगेज घटना थी। हर साल इनमें होल के बढ़ते आकार पर चिंता जताई जाती रही है।
अंतरिक्ष से भले ही ग्रेट वॉल ऑफ चाइना दिखाई नहीं दे रही हो फिर भी धरती पर फैला प्रदूषण जरूर नजर आता है।
* पृथ्वी की सबसे दूरी-3.7 अरब मील-से ली गई तस्वीर में यह बेहद पतले नीले बिंदु की तरह दिखाई देती है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दुनिया की सबसे महंगी बिल्डिंग है। इसको बनाने में 150 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए थे। अभी तक पृथ्वी में ऐसी कोई बिल्डिंग नहीं बनाई गई, जिसकी लागत अंतरिक्ष स्टेशन से अधिक हो।
अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक संस्थान नासा के अनुसार कम से कम हर दिन अंतरिक्ष का कचरे का एक टुकड़ा पृथ्वी गिरता है। यह कचरा विभिन्न अंतरिक्ष अभियानों के कारण भेजे गए उपग्रहों और अन्य वस्तुओं का होता है।