ये उपाय अपनाकर छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से खुद को रखें दूर

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कई बार हमें शुरू में इस बात का एहसास भी नहीं होता कि हमारी सेहत बिगड़ रही है, लेकिन जब पता चलता है, तो देर हो चुकी होती है। आप किन-किन बातों को नजरअंदाज करते हैं, जिनसे सेहत का बड़ा नुकसान हो सकता है, जानिये यहाँ-

मुसीबत न बन जाए गैस


पिछले साल की वह खबर याद कीजिए, जब दुबई से एम्सटर्डम जा रही एक फ्लाइट को इसलिए इमरजेंसी लैडिंग करानी पड़ी, क्योंकि विमान में सवार एक व्यक्ति बार-बार इतनी बदबूदार गैस छोड़ रहा था कि यात्री बेहाल हो गए। गैस पाचनतंत्र का अनिवार्य हिस्सा है। पाचन की प्रक्रिया में कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोडन और मीथेन के रूप में गैस बनती ही रहती है और अपान वायु, डकार आदि के रूप में शरीर के बाहर निकलती है। एक वयस्क व्यक्ति दिन भर में आमतौर पर 1 से 4 पाइन्ट गैस पैदा करता है, 10 से 20 बार तक इसे खारिज करता है।

क्या हैं कारण
जो बिना ठीक से चबाए जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं, उनमें यह समस्या ज्यादा होती है।जब छोटी आंत में बैक्टीरिया की संख्या जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो गैस ज्यादा बनने लगती है। कार्बोहाइड्रेट अगर छोटी आंत में मौजूद एंजाइम द्वारा पूरी तरह से नहीं पच पाता, तो वह अनपचे रूप में मलाशय में पहुंचता है, जहां बैक्टीरिया उसे हाइड्रोजन और कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल देते हैं। इससे बदबूदार गैस की समस्या पैदा होती है। कब्ज की समस्या के कारण टॉक्सिक बाहर न निकल पाएं, तो गैस की समस्या पैदा हो सकती है।
उम्र बढ़ने के साथ पाचन शक्ति कमजोर पड़ने लगती है। ऐसे में दूध आदि से बनी चीजें गैस ज्यादा बनने का कारण बनती हैं।

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हो सकती हैं ये बीमारियां
समस्या ज्यादा समय तक रहे तो माइग्रेन हो सकता है।
गैस ठीक से खारिज न हो और आंतों में रुकी रहे, तो पेट दर्द हो सकता है।
गैस की समस्या बढ़ने पर चक्कर आ सकते हैं।
उल्टी हो सकती है।
एसिडिटी ।
आंतों की गैस ऊपर की तरफ चढ़ जाए, तो सीने में दर्द हो सकता है।

ऐसे मिलेगी निजात
खाना खूब चबा-चबाकर खाएं।
मौसमी फल भरपूर खाएं।
पचास की उम्र के बाद दही, छाछ खाएं, पर दूध और दूध से बनी चीजें कम करें।
एंटीबायोटिक दवाओं से गैस हो, तो डॉक्टर को बताएं।
जंकफूड, तैलीय और मैदा वाली चीजें कम खाएं।
योगासन-व्यायाम को नियमित दिनचर्या में शामिल करें।
दिन में दो-तीन बार नीबू-पानी पिएं।
दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं।
खाना खाने के तुरंत बाद पानी न पिएं।
खाने के बाद एक चम्मच अजवायन गुनगुने पानी
से लें।

अगर थकान करे हलकान


मेहनत करेंगे, तो थकेंगे भी। शारीरिक या मानसिक श्रम के हिसाब से ऊर्जा के स्तर में उतार-चढ़ाव हमारे शरीर में चलने वाली रोजमर्रा की जैविक क्रिया है। थकान की सामान्य स्थिति में ऊर्जा देने वाले आहार और कुछ देर के आराम के बाद शरीर काम पर चलने के लिए फिर से तैयार हो जाता है। परेशानी तब पैदा होती है, जब थकान दूर होने का नाम न ले। विभिन्न शोधों के अनुसार, भारत में हर चौथा या पांचवां व्यक्ति थकान की समस्या से पीड़ित है।

हो सकती हैं ये बीमारियां
आप लगातार थका हुआ महसूस करते हैं या जरा-सी मेहनत से ही थककर चूर हो जाते हैं, तो इसका कारण थाइरॉइड हार्मोनों का संतुलन बिगड़ना भी हो सकता है। थाइरॉइड ग्रंथि से यदि मेटाबॉलिज्म नियंत्रित करने वाले हार्मोनों का स्राव ज्यादा होने लगे तो मेटाबॉलिज्म की गति तेज हो जाती है और व्यक्ति हाइपर थाइरॉइडिज्म का शिकार हो सकता है। ज्यादा थकान महसूस होती है, तो इसकी वजह फैटी लिवर भी हो सकता है।

एनीमिया की स्थिति हो, तो व्यक्ति खुद को थका-थका महसूस करता है। कुछ देर चलने-फिरने से ही सांस फूलने लगती है।

ज्यादा थकान की स्थिति डायबिटीज का संकेत हो सकती है। इस बीमारी में शरीर में बनने वाले ग्लूकोज का पूरा उपयोग नहीं हो पाता और यह रक्त में मिलकर थकान पैदा करता है। आर्थराइटिस के कारण हड्डियों और ऊतकों को काफी नुकसान पहुंचता है, शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है। रोज ज्यादा देर तक सोते हैं, फिर भी जागने पर थकान महसूस करते हैं, तो स्लीप एप्निया की समस्या हो सकती है।

क्या करें

अकारण थकान हो, तो जांच कराएं।

बिटामिन-बी-12 और आयरन वाली चीजें भरपूर खाएं। जरूरत हो तो सप्लीमेंट लें।

दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं।

व्यायाम ज्यादा करना या बिल्कुल न करना, दोनों ही थकान के कारण हो सकते हैं। शरीर की स्थिति के मुताबिक योगासन, प्राणायाम, व्यायाम अपनाएं।

जब बढ़ने लगे तनाव


भारत में 89 फीसदी आबादी किसी-न-किसी रूप में तनाव से पीड़ित है। इसका मतलब है कि 10 में से नौ भारतीय वर्तमान में तनावग्रस्त हैं। 86 फीसदी की तुलना में भारत की यह स्थिति चिंताजनक है। 50 फीसदी नौकरीपेशा भारतीय तनाव की समस्या से पीड़ित हैं।

क्या हैं कारण
आधुनिक जीवनशैली की भागदौड़।

कार्यस्थल पर काम का दबाव।

आर्थिक परेशानियां।

वजन का तेजी से घटना या बढ़ना।

क्या करें
योग-ध्यान-प्राणायाम जरूर करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां आहार में भरपूर रखें।

विटामिन-सी तनाव दूर करने में मदद करता है।
आंवला, संतरा, नीबू जैसे फल यथोचित मात्रा में लें।

तुलसी, काली मिर्च, अदरक की चाय या ग्रीन टी पिएं।

डार्क चॉकलेट तनाव में फायदेमंद होती है।

हंसने-मुस्कराने का कोई मौका हाथ से न जाने दें।

तनाव से हो सकती हैं ये बीमारियां
लंबे समय का तनाव बालों के तेजी से झड़ने का कारण बन सकता है।

तनाव के चलते रक्त वाहिकाओं में सिकुड़न पैदा हो जाती है और हृदय तेज धड़कने लगता है। नतीजतन ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।

तनाव से दिमाग की नसों में सिकुड़न आती है, जो माइग्रेन का कारण बन सकता है।

तनाव के कारण इंसुलिन के प्रवाह में बाधा पैदा होती है, ब्लड-शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

तनाव में प्राय: लोग खाने-पीने की नियमितता पर ध्यान नहीं दे पाते, जो मोटापे का कारण बनता है।

तनाव ज्यादा बढ़ जाए, तो कंधे और गरदन की नसों में सिकुड़न पैदा होने लगती है।
इन बातों का ध्यान रखे और अपने आप को स्वस्थ बनाये रखें।

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