अंतरिक्ष में अपनी मौजूदगी दर्ज करने को तैयार भारत

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15 अगस्त, 2018 को पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रोजेक्ट गगनयान को लॉन्च करने का ऐलान किया था. इस प्रोजेक्ट के साथ ही भारत भी उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष में शोध कार्यों के लिए मानव को भेजने में सफल रहे हैं. आइये जानते हैं मिशन गगनयान की कुछ खास बातें-

अगले 40 महीने के अंदर लॉन्च किया जाएगा मिशन गगनयान. इस मिशन के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है.

मिशन के तहत भारत के तीन लोग सात दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे.

इस मिशन में रूस और फ्रांस भारत की सहायता करेंगे.

भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा. वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे.

इसरो उस कैप्सुल का परीक्षण कर चुका है, जिसे अंतरिक्ष यात्री अपने साथ ले जा सकेंगे.

हादसा होने की स्थिति में अंतरिक्ष यात्री इसी कैप्सुल में बैठकर पृथ्वी की कक्षा में सुरक्षित पहुंच सकेंगे. इसे इसरो ने ही बनाया है.
इसरो ने मानवमिशन की तैयारियां शुरू कर दी हैं.

अंतरिक्ष में तीन यात्री कौन-कौन होंगे, इसके लिए इसरो ने देश के 30 अलग-अलग लोगों का चयन करना शुरू कर दिया है.

इन 30 लोगों में से तीन लोग अंतिम रूप से चुने जाएंगे, जिन्हें अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.

इसके लिए इसरो ने लोगों के मेडिकल चेकअप और माइक्रो-बायोलॉजिकल चेकअप शुरू कर दिए हैं.

एक अंतरिक्ष यात्री की कम के कम 10 जांच होनी है. ज़रूरत पड़ने पर और भी जांच की जाएंगी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन के मुताबिक भारत में अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने वाली तकनीक डेवलप हो चुकी है.
इसरो प्रमुख के मुताबिक इस नए मिशन की वजह से देश में कुल 15 हजार नई नौकरियां मिलेंगी.

इसरो मानव क्रू मॉड्यूल और पर्यावरण नियंत्रण के साथ ही जान बचाने की प्रणाली वाली तकनीक विकसित कर चुका है.

2022 में गगनयान को भेजने के अलावा इसरो जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-III (GSLV Mark-III) का इस्तेमाल करते हुए दो और मानवरहित मिशन भेजेगा.

इसरो के चेयरमैन के शिवम के मुताबिक गगनयान मिशन की वजह से देश में 15,000 नई नौकरियां पैदा होंगी.

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